भोपाल। रविवार को भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित टैगोर होस्टल के विशाल प्रांगण में ब्रह्म मुर्हुत में भगवान की शांतिधारा के साथ ही नौ दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का विधिवत शुभारंभ हुआ। इस विधान में 5 हजार से अधिक लोग एक साथ मंत्रोच्चार के साथ सिद्धों की आराधना कर रहे हैं। पूरा आयोजन आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनिश्री प्रमाण सागर जी एवं मुनिश्री प्रसाद सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में किया जा रहा है।
आयोजन समिति के सूत्रधार रवीन्द्र जैन पत्रकार ने बताया कि भोपाल में पहली बार यह विधान संस्कृत भाषा में हो रहा है। यह भी पहला अवसर है जब किसी विधान में एक साथ 5 हजार लोग बैठकर सिद्धों की आराधना कर रहे हैं। शनिवार को भोपाल में विशाल शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें 90 पालकियों में भगवान विराजमान थे। रविवार को सुबह बेहद ठंड के बाद भी हजारों की तादात में लोग आयोजन स्थल पर पहुंचे। प्रतिष्ठाचार्य अभय भैया ने मंत्रोच्चारण के साथ सभी भक्तों की शुद्धि कराई। आयोजन स्थल पर 90 मंदिर बनाए गए हैं। जहां श्रीजी विराजमान किए गए हैं। मत्रोच्चारण के साथ सभी 90 मंदिरों में भगवान के अभिषेक हुए। इसके बाद 8 पुर्णाजकों ने बोलियों के माध्यम से भगवान की शांतिधारा की। मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज, मुनिश्री प्रसाद सागर जी महाराज, मुनिश्री निकलंक सागर जी महाराज ने संयुक्त रूप से शांतिधारा का वाचन किया। इसके बाद संगीतमय पूजन एवं विधान शुरु हुआ।
शनिवार को देर शाम देश के जाने माने कवि अरूण जैमनी, संपत सरल, पवन जैन, सुदीप भोपाल, चिराग जैन, रूचि चतुर्वेदी और शबनम अली ने मुनिश्री के पास पहुंचकर उनके दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया। मुनिश्री ने आशीर्वाद के रूप में अपनी सबसे लोकप्रिय पुस्तक जैन धर्म और दर्शन मुनियों को भेंट की। इस अवसर पर कवियों ने मुनिश्री से अपनी शंकाओं का समाधान भी किया। इस कार्यक्रम का प्रसारण कई चैनलों पर लाईव किया गया। कवियों के साथ ही मप्र मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेन्द्र कुमार जैन, जस्टिस अभय गोहिल और जस्टिस निर्मल कुमार जैन ने भी मुनिश्री से आशीर्वाद लिया। मप्र आयकर विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर अनूप जैन के साथ आयकर विभाग की एडीशनल कमिश्नर रोली खरे एवं ज्वाइंट कमिश्नर सुनील शर्मा ने महाराजश्री का आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर कवित्री शबनम अली के एक सवाल के जवाब में मुनिश्री ने कहा कि देश का भला सियासत से नहीं विरासत को संभालने से होगा। कवि संदीप भोला के सवाल के जवाब में मुनिश्री ने कहा कि राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। जैन धर्म इस बात को प्रखरता से कहता है। संपत सरल के सवाल के जवाब में मुनिश्री ने कहा कि फांसी की सजा पर पुर्नविचार होना चाहिए। व्यक्ति को मारने से वह दंडित नहीं होता। उसे जीते जी दंड देना चाहिए।