नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में अवैध तरीके से रह रहे शरणार्थियों को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा- देश की इंच-इंच जमीन पर जितने भी घुसपैठिए रह रहे हैं, हम उनकी पहचान करके अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर उन्हें देश से निकाल बाहर करेंगे।

उन्होंने कहा- अभी जो एनआरसी असम में लागू है, वह असम समझौते का हिस्सा है। जिस घोषणा पत्र के आधार पर हमारी सरकार चुनकर आई है, यह उसका भी हिस्सा है।

लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता अमित शाह ने असम के लखीमपुर में चुनावी रैली को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) बिल पर कहा था- हम असम को देश का दूसरा कश्मीर नहीं बनने देना चाहते हैं। मोदी सरकार एनआरसी इसीलिए लाई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में कहा था कि कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार ने ही एनआरसी स्वीकार किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। उस समय जो निर्णय हुआ था, उसे लागू करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स 1951 में तैयार किया गया। इसके मुताबिक जिन लोगों ने 24 मार्च 1971 को आधी रात में राज्य में प्रवेश किया है, उन सभी को भारतीय नागरिक का दर्जा प्राप्त है। एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में शुरू की गई।

30 जुलाई 2018 को प्रकाशित सूची में 2.9 करोड़ लोगों को शामिल किया गया, जबकि आवेदन 3.29 करोड़ लोगों ने किया था। इस सूची में 44 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था। असम में एनआरसी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपडेट की जा रही है। 31 जुलाई तक इसकी फाइनल सूची का प्रकाशन किया जाना है।

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