केन्या के उमोजा गांव की चर्चा काफी लंबे समय से होती आई है। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां एक भी मर्द नहीं रहता। इस गांव में सिर्फ महिलाएं रहती हैं। इस गांव की स्थापना 1990 में गांव में ही रहने वाली 15 महिलाओं ने किया था। ये सभी वो महिलाएं थीं, जिनके साथ स्थानीय ब्रिटिश जवानों ने रेप किया था। बीते 30 साल से इस गांव में मर्दों की एंट्री पर बैन है। गांव की सीमा पर कंटीले तार लगे हैं। अगर कोई मर्द इस सीमा को लांघने की कोशिश करता है तो उसे सजा दी जाती है। इस गांव में रेप, बाल विवाह, घरेलू हिंसा और खतना जैसी तमाम हिंसा झेलनी वाली महिलाएं रहती हैं। अभी इस गांव में ढाई सौ महिलाएं और करीब दो सौ बच्चे रहते हैं।
अब ये जानना जरुरी है कि जब गांव में मर्द ही नहीं रहते तो आखिर इस गांव की महिलाएं प्रेग्नेंट कैसे हो जाती हैं? इस बात का जवाब उमोजा गांव के बगल में बसे दूसरे गांव के मर्दों ने दिया। उस गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि इन महिलाओं को ऐसा लगता है कई ये बिना मर्दों के रहती हैं। लेकिन असलियत ये है कि इनमें से कई महिलाएं उनके ही गांव के मर्दों के प्यार मिन पड़ जाती हैं। इसके बाद रात के अँधेरे में ये मर्द उमोजा गांव में जाते हैं और फिर सुबह होने से पहले लौट कर आ जाते हैं।
इन मर्दों का रिश्ता गांव की एक नहीं, बल्कि कई महिलाओं के साथ रहता है। चूंकि महिलाएं मर्दों के साथ अपने रिश्ते खुलेआम नहीं स्वीकारती, इसलिए किसी को पता नहीं चलता कि किस मर्द के साथ कौन सी औरत ने रिश्ता बनाया। चूंकि, यहां गर्भनिरोध का कोई साधन नहीं है, इस कारण महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं। लेकिन ये महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल अकेली करती हैं। अगर बेटियां हैं, तो उन्हें पढ़ाती हैं और अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाती हैं।
मर्दों की एंट्री पर बैन लगाकर इस गांव ने काफी चर्चा बटोरी है। इस कारण यहां कई टूरिस्ट्स भी आते हैं। गांव में एंट्री के लिए इन टूरिस्ट्स से पैसे लिए जाते हैं। साथ ही गांव की महिलाएं ख़ास तरह के आभूषण भी बनाती हैं। उन्हें बेचकर भी ये पैसे कमाती हैं और अपने बच्चों का पेट पालती हैं। चाहे जो भी हो, इस गांव की महिलाओं को इस गांव से काफी लगाव है। उनका कहना है कि जब बाहर की दुनिया में उन्हें धोखा मिला, तब इस गांव ने ही उन्हें सहारा दिया।