भोपाल ! मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित एक निजी शिक्षण संस्थान को लाभ पहुंचाने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री राजा पटेरिया सहित तीन लोगों के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है। ईओडब्ल्यू कार्यालय के अनुसार, भोपाल स्थित आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा शैक्षणिक सत्र 2000-2001 एवं 2001-2002 में अनधिकृत रूप से 12 छात्रों को दाखिला दिया गया। इस पर राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग के नियमानुसार इस संस्थान को 24 लाख रुपये बतौर समझौता शुल्क जमा करना था।
ईओडब्ल्यू के अनुसार, आरकेडीएफ एजुकेशन सोसायटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील कपूर एवं अन्य के साथ आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होकर तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटैरिया ने प्रस्तावित 24 लाख रुपये के समझौता शुल्क को घटाकर पांच लाख रुपये करने का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को दिया था।
बताया गया है कि दिग्विजय ने प्रस्तावित पांच लाख रुपये के समझौता शुल्क में भी ढाई लाख रुपये की कटौती करने का अनुमोदन किया। इस तरह समझौता शुल्क के तौर पर ली जाने वाली राशि 24 लाख रुपये के बदले इंस्टीट्यूट से सिर्फ ढाई लाख ही रुपये ही लिए गए। इससे राज्य शासन को साढ़े 21 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री राजा पटेरिया, इंस्टीट्यूट के सुनील कपूर के खिलाफ भारतीय दंड विधान एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत प्रथम दृष्टया अपराध घटित होना पाए जाने पर प्राथमिकी दर्ज की है। यह प्रकरण जांच के बाद दर्ज किया गया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह वर्ष 1993 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे हैं।

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