भोपाल !  प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जरूरी कामकाज के अलावा दाह संस्कार तक के लिए लकड़ी का संकट गहरा गया है। रा ज्य के वन मंत्री सरताज सिंह ने कहा है कि ग्रामीणों को लकड़ी की कमी न आए इसके लिए सरकार की ओर से पहल की जाएगी। विधानसभा में गुरुवार को विधायक मूल सिंह ने जंगल में पड़ी लकड़ियां उठाने की आजादी पर वन विभाग द्वारा रोक लगाए जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पहले ग्रामीणों को अपनी जरूरत के लिए जंगल में पड़ी, गिरी लकड़ियों को उठाने के लिए बैलगाड़ी पास जारी किए जाते थे ताकि वे बैलगाड़ी से लकड़ी का परिवहन कर सकें, मगर अब इसे बंद कर दिया गया है।

वन मंत्री ने माना कि पूर्व में संचालित व्यवस्था पर आंशिक तौर पर रोक लगाई गई है। वहीं वन क्षेत्र की पांच किलो मीटर की परिधि में स्थित गांवों के किसानों को बल्ली आदि उपलब्ध कराने की सुविधा पूर्ववत है, मगर पांच किलो मीटर से बाहर के ग्राम में वनोपज की अनुपलब्धता के चलते आंशिक रोक लगाई गई है। इस अतिरिक्त उपलब्धता पर पूर्ण बाजार दर पर पंचायत के माध्यम से वनोपज प्रदाय करने की व्यवस्था आज भी चालू है। वन मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, रामनिवास रावत, गोविंद सिंह व बृजेंद्र प्रताप सिंह राठौर ने कहा कि वन विभाग की इस व्यवस्था के चलते जरूरी कामकाज तो प्रभावित हो ही रहे हैं,गांव वालों को दाह संस्कार तक के लिए लकड़ी नहीं मिल पा रही है। विधानसभाध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी ने भी इस मसले को गंभीर बताते हुए वन मंत्री को निर्देश दिए कि वे आम आदमी की जरूरत के साथ दाह संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध कराने के इंतजाम करें।
इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेने की जरूरत पड़े तो वह भी करें।

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