भोपाल। प्रदेश की 28 विधानसभा चुनावों के लिए हो रहे चुनावों में मतदान से पहले ही राज्य के दो मंत्रियों जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत को मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। संवैधानिक रूप से किसी भी व्यक्ति को बिना विधानसभा चुनाव जीते अधिकतम छह माह तक ही मंत्री बनाया जा सकता है। तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत को को मंत्री बने छह माह का समय 21 अक्टूबर को पूरा हो रहा है। संवैधानिक रूप से अब ये दोनों बिना विधायक बने मंत्री नहीं रह सकते। इन्हें मंत्री पद से त्यागपत्र देने की जरूरत नहीं है स्वमेव इनका मंत्रिपद 21 अक्टूबर के बाद नहीं रहेगा। सिलावट सांवेर से और राजपूत सुरखी से चुनाव लड़ रहे है। जबकि बारह गैर विधायक मंत्री पद पर रहते हुए विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे।

कांग्रेस सरकार गिरने के बाद 23 मार्च को मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा की सरकर बनी थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब 21 अप्रैल को अपनी टीम का गठन किया तो उसमें  उन्होंने पूर्व सरकार में मंत्री पद छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले दो मंत्रियों गोविंद राजपूत और तुलसी सिलावट को सबसे पहले मंत्रिमंडल मे स्थान देते हुए मंत्री बनाया था। शेष तीन मंत्री भाजपा के ही बनाए गए थे। इसके बाद दोबारा दो जुलाई को दुबारा मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो उसमें कांग्रेस विधायक पद से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए 12 गैर विधायकों को मंत्री बनाया गया था।

ये बारह गैर विधायक मंत्री रहते लड़ेंगे चुनाव
सुमावली में एदल सिंह कंसाना, दिमनी में गिर्राज दंडोतिया, मेहगांव में ओपीएस भदौरिया,ग्वालियर में प्रद्युम्न सिंह तोमर, डबरा में इमरती देवी,पोहरी में सुरेश धाकड़, बामोरी में महेन्द्र सिंह सिसोदिया, मुंगावली में बृजेन्द्र सिंह यादव, अनूपपुर में बिसाहूलाल सिंह, सांची में प्रभुराम चौधरी, बदनावर में  राजवर्धन सिंह, सुवासरा में हरदीप सिंह डंग।

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