मिजाजीलाल जैन

देवास। मध्यप्रदेश के देवास जिले के सोनकच्छ के पुष्पगिरि में एक ही मां की तीन बेटियां एक साथ दीक्षित होगी। पुष्पगिरी तीर्थ में इस दीक्षा के बाद तीनों बहनें गृहस्थ जीवन छोडकर त्यागमय जीवन बिताएंगी। इनके साथ ही एक अन्य युवती, महिला-पुरुष भी दीक्षा लेंगे। छह लोगों का दीक्षा समारोह पंच कल्याणक महोत्सव के दौरान एक दिसंबर को होगा। पंचकल्याणक महोत्सव के लिए आचार्यश्री पुष्पदंत सागरजी महाराज व शिष्य अंतर्मना तपाचार्य प्रसन्न सागर महाराज के दर्शन हेतु पधारी शिष्य मुनि प्रमुखसागरजी महाराज की शिष्या दीक्षारती बहनों ने मंगलवार को मंगल आशीर्वाद लिया। जैनेश्वरी दीक्षा समारोह में तीनों बहनों का क्षुल्लिका दीक्षा होगी। दीक्षा लेने वालों में उत्तरप्रदेश के इटावा की नेहा, दीक्षा, शिवानी शामिल है। इनकी मां सुनीता गृहस्थ है तो पिता सुभाष जैन की मिठाई की दुकान है। इनमें नेहा एमकॉम आईटीआई, दीक्षा और शिवानी बीएसएसी तक शिक्षित है। इसके अलावा इटावा की राखी भी दीक्षा लेंगी। इनके साथ ही अंगूरीदेवी और प्रभाष भैया भी दीक्षा लेंगे। दीक्षा लेने वाली इटावा की तीनों बहनों के माता-पिता ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी बेटियां धर्म मार्ग पर आगे बढ रही है।

धर्म के प्रति अनंत श्रद्धा और भक्ति का भाव मुझे इस मार्ग पर खींच लाया। 2011 में गुरुदेव प्रमुखसागर महाराज के दर्शन का लाभ मुझे मिला था। उसके बाद से ही मन धर्म मार्ग की ओर निकलने को आतुर था। अब जल्द ही मेरा सपना साकार होने जा रहा है। – ब्रह्मचारिणी नेहा (23, एमकॉम, आईटीआई) (दीक्षा के बाद हो जाएगी नेहाश्री माताजी)

बचपन से ही माता-पिता के संस्कार धर्म मार्ग की ओर अग्रसर रहे है। साधु-संत और माताजी को देखकर मन में एक नई उमंग जागी ओर धर्म मार्ग पर ले आई। मेरे आराध्य गुरु मुनि प्रमुखसागर जी महाराज के दर्शन कर धर्म मार्ग पर चलने की मंशा जाहिर की, उनका शिष्यत्व स्वीकार कर आगामी दिनों में अपना मोक्ष मार्ग प्रशस्त करुंगी। – ब्रह्मचारिणी दीक्षा (21, बीएसएसी) (दीक्षा के बाद हो जाएगी परिधिश्री माताजी)

सन 2011 में गुरुदेव प्रमुखसागर जी महाराज के दर्शन कर उनके धर्म मार्ग से प्राभवित होकर उनके सामने उपवास नियम व्रत लिए। धीरे-धीरे धर्म मार्ग पर अग्रसर होकर 2018 में गुरुदेव से आजीवन ब्रह्मचर्य व श्रीफल समर्पित कर दीक्षा लेने की मंशा व्यक्त की। गुरुदेव ने मेरी मंशा स्वीकार कर मुझे धर्म की प्रभावना हेतु शिक्षित किया। मुझे बेहद प्रसन्नता है कि मेरा मोक्ष मार्ग का द्वार खुलने वाला है। – ब्रह्मचारिणी शिवानी (20, बीएसएसी) (दीक्षा के बाद हो जाएगी प्रमिलाश्री माताजी)

जीवन में सबसे अच्छा मार्ग है धर्म मार्ग क्योंकि उसी के माध्यम से ही मैं अपना मोक्ष मार्ग प्रशस्त कर सकती हूं। बचपन से धार्मिक संस्कारों में रुचि थी, धर्म को समझा, जाना जिसके बाद से ही मन में वैराग्य के भाव जागृत हो गए। आज मैं अपना सपना साकार होते देख रही हूं। गुरुदेव प्रमुखसागर जी का आशीर्वाद हमेशा साथ है। – ब्रह्मचारिणी राखी (23, बीए) (दीक्षा के बाद हो जाएगी प्रमिताश्री माताजी)

वैराग्य पद ग्रहण कर मोक्ष मार्ग की ओर जाना जीवन का सबसे सुखद अनुभव है। अब बस इंतजार है कब दीक्षा हो और में भाक्ति मार्ग की सीडी चढ धर्म मार्ग की ओर अग्रसर हो सकूं। – ब्रह्मचारी प्रभाष (65, निवासी भिण्ड)

मेरा सुगति में गमन हो और समाधि मरण हो जीवन का जितना समय हो वीतरागी भगवान के चरणों में हो बस इंतजार है दीक्षा का। – ब्रह्मचारिणी अंगूरी

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