गुना। मध्यप्रदेश के गुना अपने अजेय गढ़ से सिंधिया परिवार को हार का सामना करना पड़ रहा है। गुना संसदीय क्षेत्र से भाजपा के केपी यादव ने निर्णायक बढ़त ले ली है। के पी यादव सवा लाख वोट की बढ़त बनाए हुए है।
सबसे पहले गुना और ग्वालियर संसदीय क्षेत्र सिंधिया परिवार का राजनीतिक गढ़ माना जाता रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को मात देने वाले के पी यादव की गिनती कभी सिंधिया के खास सिपहसलार में की जाती थी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जब के पी यादव को टिकट नहीं दी तो वह भाजपा में शामिल हो गए, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा। पार्टी ने लोकसभा में उनको सिंधिया के सामने खड़ा किया और उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर फिलहाल तक निर्णायक बढ़त बना ली है।
मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर तीन पीढियों से सिंधिया घराने का कब्जा रहा है। ग्वालियर के बाद गुना ही वह लोकसभा सीट है, जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लडना पसंद करता है। इस सीट से सांसद ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया ने निर्दलीय चुनाव जीतकर इतिहास रचा था। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भी गुना सीट से ज्योतिरादित्य ने भाजपा नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को एक लाख 20 हजार 792 वोटों से शिकस्त दी थी।
सिंधिया घराने के गढ में भाजपा ने कई बार सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन विजयाराजे सिंधिया के बाद से भाजपा को यहां पर कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला, जो माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा सके। सिंधिया परिवार की तीन पीढियों को गुना लोकसभा सीट से 14 बार सांसद के तौर जनता ने चुनकर भेजा है। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया छह बार गुना से सांसद रहीं, तो उनके पिता माधवराव चार बार चुने गए थे। ज्योतिरादित्य ने भी चौथी बार गुना लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

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