लोकसभा स्पीकर और इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन द्वारा लिखे गए पत्र ने भाजपा में भूचाल ला दिया है।सोशल मीडिया पर ये पत्र तेजी से वायरल हो रहा है। कुछ इसे सही तो कुछ इसे पार्टी द्वारा दबाव ड़ालने की राजनीति बता रहे है। ताई ने पत्र लिखकर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है और जल्द से जल्द इंदौर के प्रत्याशी का नाम ऐलान करने की बात कही है। वही इस मौके का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया है। कांग्रेस के इस ऑफर के बाद बीजेपी में इंदौर से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा कर रख दिया है।राजनैतिक गलियारों में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।

कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने कहा कि सुमित्रा महाजन जो यहां आठ बार सांसद रही वो हमारे लिए गौरव का विषय है, लेकिन दु:ख है कि भाजपा उनको इतने साल की सेवा का ये इनाम दे रही है। उनका टिकट काटना वरिष्ठ नेता का अपमान है।भाजपा ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी सरीखे वरिष्ठ नेताओं का भी इसी तरह अपमान किया है। वैसे भी भाजपा अब दो लोगों की कंपनी बन गई है। ये पुरानी भाजपा नहीं है। कांग्रेस में आज भी वरिष्ठ नेताओं का सम्मान होता है। मेरा ताई से आग्रह है कि वह कांग्रेस पार्टी में विधिवत आ जाएं, ताकि हमें उनके सम्मान करने का मौका मिले।

इस ऑफर के बाद बीजेपी में हड़कंप मच गया है, नेताओं ने ताई को मनाने की कवायद शुरु कर दी है। खबर है कि ताई के पत्र के बाद मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल समेत कई दिग्गज विधायक रमेश मेंदोला, महापौर मालिनी गौड़, शंकर लालवानी, गोपी नेमा, संभागीय संगठन भाजपा के मंत्री जयपाल सिंग चावड़ा, सुदर्शन गुप्ता, मधु वर्मा उनके घर उन्हें मनाने पहुंचे थे। हर कोई ताई के इस कदम से सकते में आ गया है। खास बात ये है कि बीते कई दिनों से ताई का नाम चर्चा में चल रहा था, पैनल में भी उनके नाम की चर्चा रही , लेकिन लगातार हो रही देरी ने ताई को आहत कर दिया और उन्होंने पत्र लिखकर अपने आप को इससे दूर कर दिया। हालांकि पार्टी के कई नेता इसे ताई पर दबाव बनाने की रणनीति मान रहे है, उनका यह भी मानना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह के कदम से माहौल खराब होगा, जिसका हर्जाना बीजेपी को उठाना पड़ सकता है।

महाजन लिखा कि भाजपा ने आज तक इंदौर में अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, यह अनिर्णय की स्थिति क्यों? संभव है कि पार्टी को निर्णय लेने में कुछ संकोच हो रहा है। हालांकि, मैंने पार्टी के वरिष्ठों से इस संदर्भ में बहुत पहले ही चर्चा की थी और निर्णय उन पर छोड़ दिया था। लगता है उनके मन में अब भी कुछ असमंजस है। इसलिए मैं घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना है। अत: पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से करे, निःसंकोच होकर करे।

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