नई दिल्ली। लंबे समय तक चलने वाला डोकलाम विवाद भले ही खत्म हो चुका है, लेकिन भारत और चीन के बीच एक बार फिर विवाद अब नए दौर में प्रवेश करता हुआ दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर दोनों देशों के बीच लगातार गतिरोध देखने को मिल रहा है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर पीपुल्स आर्मी द्वारा रोड़ बनाने की घटना सामना आई थी, लेकिन अब खबर है कि चीन नए तरीकों से पूरे 4,057 किमी वाली लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अतिक्रमण करने की कोशिश में है। अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर तनाव अंग्रेजी अखबार द इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर हाल ही में चीन का एक बुल्डोजर दिखाई दिया था, जिससे ऐसा लगता है कि इस क्षेत्र में भी डोकलाम जैसा गतिरोध देखने को मिल सकता है। पिछले साल भूटान के डोकलाम क्षेत्र पर भारत और चीन की सेना करीब 80 दिनों तक खड़ी थी। दोनों देशों के बीच चलने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा गतिरोध था। सीमा समझौते को प्रभावित करना चाहता है चीन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सेना को हर युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए बहुत बार कह चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर चीन की सेना बहुत उत्तेजित दिखाई दे रही है, जो सीमा पार कर भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा है। चीन सीमा पर इस नए विवाद से दोनों देशों के बीच सीमा समझौते को भी प्रभावित कर सकता है। अरुणाचल पर समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है… डोकालाम विवाद के बाद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर द्विपक्षीय वार्ता हो चुकी है। चीन की मांग है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग वाले क्षेत्र को उसे दे दिया जाए। दोनों देश तवांग पर अटके हुए हैं, चीन का मानना है कि तवांग के चर्चा किए बगैर सीमा विवाद का हल संभव नहीं है, वहीं भारत बहुत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अरुणाचल को लेकर किसी भी प्रकार के समझौते की गुंजाइश नहीं है। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, तवांग की आबादी को उस क्षेत्र के अनुसार बसाया गया है। अरुणाचल को फिर बताया तिब्बत का हिस्सा… इस साल के पहले सप्ताह में ही चीन की पीपुल्स आर्मी को एलएसी पर रोड़ बनाने के सामानों के साथ देखी गया था। उसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी अरुणाचल प्रदेश को भारत के अस्तित्व को लेकर इनकार किया था। चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनियांग ने भारत के अभिन्न राज्य अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताया था।

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