इंदौर। इंदौर के कारोबारी मंजीत भाटिया की शिकायत पर उत्तर प्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा के दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के एक मंत्री के दो निजी सचिव, दो पत्रकार सहित कुल 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसी मामले में गोमतीनगर एसीपी की जांच रिपोर्ट के आधार पर बाराबंकी एसपी द्वारा हेड कांस्टेबल दिलबहार सिंह को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के विधान सभा सचिवालय में फर्जी ऑफिस बनाकर इंदौर के मंजीत भाटिया को 240 करोड रुपए का टेंडर देने के नाम पर 10 करोड़ का चूना लगाया गया था।
इंदौर के पीड़ित व्यापारी मंजीत भाटिया की शिकायत के बाद इस मामले में 14 जून को राज्यमंत्री जय प्रताप निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, निजी सचिव धीरज कुमार देव, पत्रकार आशीष राय, अनिल राय के अलावा तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
इंदौर के कारोबारी मंजीत भाटिया ने गिरफ्तार हुए लोगों पर आरोप लगाया था कि भांडा फूटने पर जब उन्होंने अपना पैसा वापस मांगा तो CBCID के तत्कालीन एसपी अरविंद सेन के साथ सांठगांठ कर उनको धमकी दी गई थी। मंजीत भाटिया के आरोपों की जांच STF ने की तो CBCID के तत्कालीन एसपी अरविंद सेन के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए। अरविंद सेन अभी DIG हैं और आगरा के PAS में इनकी तैनाती है। योगी सरकार ने कार्रवाई करते हुए इनको निलंबित कर दिया है।
इस फर्जीवाड़े की STF ने जांच की तो घोटाले के आरोपियों से आईपीएस दिनेश दुबे की मिलीभीगत का भी पता चला। वे रुल्स एंड मैनुअल्स में DIG हैं। सरकार ने उनको भी सस्पेंड कर दिया है।
जून में इंदौर के व्यापारी मंजीत पांडेय को पशुपालन विभाग में 240 करोड़ रुपए का ठेका दिलाने के लिए विधानसभा सचिवालय में फर्जी दफ्तर बनाकर बड़े ही फिल्मी तरीके से करीब दस करोड़ का चूना लगाया गया।
पैसे मांगने पर जब आरोपियों ने उसे धमकाया तब जाकर व्यापारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अपनी बात पहुंचाई। शासन ने हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराकर एसटीएफ को मामले की जांच में लगाया तो मामले का परत-दर-परत खुलासा हो गया
पशुधन राज्यमंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार देव समेत अन्य आरोपियों ने सचिवालय में फर्जी दफ्तर के जरिए व्यापारी से 15 करोड़ रुपए में 240 करोड़ का टेंडर देने की डील की थी।