वॉशिंगटनः ईरान की हर चेतावनी को दरकिनार करते हुए अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंंप ने खुद को 2015 परमाणु डील से अलग कर ही लिया। ट्रंप के इस फैसले का प्रभाव केवल ईरान पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। जाहिर है कि ट्रंप के इस फैसले से ईरान भड़का हुआ है। हालांकि इस फैसले पर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि उनका देश अमरीका के बिना भी इस परमाणु समझौते का हिस्सा बना रहेगा। उन्होंने मंगलवार को कहा कि अमरीका के इस फैसले के बावजूद उनकी सरकार विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वे यूरेनियम संवर्धन को फिर से शुरू करने के लिए भी तैयार हैं, अब समझौते को लाभ प्रदान नहीं करना चाहिए।

अमरीका के इस फैसले के साथ ही ईरान पर दोबारा आर्थिक प्रतिबंध लग जाएंगे। हालांकि अमरीका ने कहा है कि इन प्रतिबंधों को तुरंत नहीं लगाया जाएगा, बल्कि इसके लिए 90 और 180 दिन का इंतजार किया जाएगा। अमरीका ने कहा है कि उन्हीं उद्योगों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जिनकी चर्चा 2015 समझौते में की गई थी। इनमें ईरान का तेल सैक्टर, विमान निर्यात, कीमती धातु का व्यापार और ईरानी सरकार के अमरीकी डॉलर खरीदने की कोशिशें शामिल हैं। ईरानी नेता ने कहा कि उन्होंने अपने राजनयिकों को यूरोपीय देशों रूस और चीन समेत इस सौदे के अन्य सदस्यों से बातचीत करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि परमाणु समझौताअमरीका के बिना भी बचा रह सकता है।

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावद जरिफ ने कहा कि वह यह पता लगाने के लिए एक राजनयिक प्रयास का नेतृत्व करेंगे कि शेष जेसीपीओए (JCPOA) के सदस्य देश ईरान के लिए अपने पूर्ण लाभ सुनिश्चित कर सकते हैं या नहीं। बता दें कि परमाणु समझौते को जेसीपीओए या संयुक्त व्यापक कार्य योजना के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि रूहानी ने चेतावनी दी है कि अगर देश की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकेगा, तो ईरान समझौते में अनुमति के स्तर से परे यूरेनियम को समृद्ध करना शुरू कर देगा। रूहानी ने कहा, ‘हम परमाणु समझौते से जो चाहते हैं वो हम प्राप्त कर सकते हैं, ऐसी स्थिति में समझौता बना रहेगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन को आदेश दिया गया है कि ईरान असीमित यूरेनियम संवर्धन तैयार करेगा। उन्होंने ट्रंप की रणनीति को मनोवैज्ञानिक जंग करार दिया और ईरान के लोगों से अमरीका पर दबाव का विरोध करने का आग्रह किया।

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