झाबुआ। गुजरात के पोरबंदर जिले के हनुमानगढ में मजदूर परिवार की झोपडी में आग लगने से 3 बच्चों की मौत हो गई। मजदूर परिवार के लोग मध्यप्रदेश केझाबुआ और आलीराजपुर जिले के थे, जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें 2 भाई-बहन आलीराजपुर जिले के सियाली के थे। तीसरा बच्चा झाबुआ जिले के हट्टीपुरा का था। मृत बच्चों में से एक के परिवार का आरोप है कि उसके पिता की पिछले साल मौत हो गई थी। प्रशासन की ओर से संबल योजना में पैसा नहीं मिला तो बच्चे को लेकर मां मजदूरी के लिए गुजरात चली गई थी। हादसे के समय बच्चों के परिवार के लोग मजदूरी पर गए थे। पोस्टमॉर्टम के बाद शवों को उनके गांव भेज दिया गया। शनिवार को बच्चों का अंतिम संस्कार उनके गांवों में किया गया। एक बच्चे के परिजन ने आरोप लगाया है कि पंचायत अगर संबल योजना का लाभ दे देती तो विधवा मां को मजदूरी के लिए नहीं जाना पडता।

4 दिन के अंतराल में जिले के लोंगों के साथ गुजरात में हुई ये दूसरी बडी घटना है। 11 फरवरी की रात पारा के पास के गांवों के मजदूरों से भरी पिकअप मेहसाणा जिले के खेरालु में सडक से उतरकर पेड से टकरा गई थी। इस घटना में 6 लोगों की मौत हो गई थी। 7 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ये मजदूर लोग कच्छ के नलियाना रामपुरा में पानी की टंकी बनाने के बाद हिम्मतनगर के सांबरकांठा जा रहे थे।

लक्ष्मी के परिवार वालों ने बताया कि मुकेश की मृत्यु पर पंचायत ने उसे संबल योजना का लाभ दिलाने में लापरवाही बरती। सरपंच, सचिव ने कागजात ही तैयार नहीं करवाए, जिससे परिवार शासन से मिलने वाले लाभ से वंचित रह गया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने से लक्ष्मी की मां उसे व 2 वर्षीय बेटे को लेकर गुजरात मजदूरी करने दीवाली के बाद चली गई थी। बेटा उस समय झोपडी में नहीं था। क्षेत्र की ग्राम पंचायत भोरकुंडिया के सचिव मानसिंह से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो पाई। राणापुर जनपद पंचायत के सीईओ जोशुआ पीटर ने कहा, दिलीप की मौत के बाद योजना का लाभ क्यों नहीं मिला, इसकी जांच करेंगे। अगर किसी ने जान बूझकर ये किया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

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