झाबुआ। नोटबंदी के फैसले के पहले मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के विभिन्न बैंकों के जन धन खातों में लगभग दो करोड रूपए की राशि जमा थी, लेकिन महज 20 दिनों में यह राशि बढकर अब 25 करोड रूपए हो गयी। अचानक हुई इस बढोतरी को लेकर अब लोग अलग-अलग नाजरिए से देख रहे हैं।
बताया गया है कि नोटबंदी के पहले जहां यहां के कुल एक लाख 70 हजार 847 जन धन खातों में एक करोड़ 75 लाख रुपए जमा थे, वहीं महज 20 दिनों मे ही इन खातों मे जमा राशि अब बढ़कर 25 करोड़ हो गई है। यानी इन खातों मे नोटबंदी के बाद 23 करोड़ 25 लाख रुपए की राशि जमा हुई है। जन-धन खातों मे महज 20 दिनों में इतनी राशि जमा हो जाने को सवाल उठने शुरु हो गये हैं।
यह सवाल उठना लाजिमी भी लगते है, क्योकि आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के पहले कुल 1 लाख 70 हजार 847 खातों मे से 70 फीसदी खातों मे 100 रूपए से कम जमा था। जिले के लीड बैंक मैनेजर अरविंद कुमार कहते हैं कि यह बात सही है कि 70 फीसदी खातों मे 100 रुपये से कम जमा थे, लेकिन 20 दिन बाद अब एवरेज प्रति खाता 2 हजार रुपए के आसपास जमा हो चुका है।
कुछ में कम तो कुछ में अधिक जमा भी हुआ है। जिले मे कुल 13 नेशनल बैंक काम करती हैं। एक नर्मदा-ग्रामीण बैंक और एक सहकारी बैंक है। इस तरह 15 तरह की बैंक काम करती हैं। जिनकी जिले भर मे कुल 65 शाखाएं हैं। इन सभी बैंकों के आंकडों पर नजर रखने वाले लीड बैंक मैनेजर अरविंद कुमार ने बताया कि जिले की सभी श्रेणियों में 8 नवंबर की नोटबंदी एेलान के पहले 1500 करोड़ रुपये का डिपॉजिट था जो महज 20 दिनों मे नोटों के एक्सचेंज अभियान के खत्म होने के बावजूद इस समय 1610 करोड़ रुपए है।
यानी झाबुआ जिले मे कुल 110 करोड़ रुपया पब्लिक की ओर से डिपॉजिट हुआ है।इन 110 करोड़ में से 23 करोड़ 25 लाख रुपया जन धन योजना के खातों के जरिए आए हैं। यह डिपॉजिट इस मायने में बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस दौर में न सिर्फ नोट एक्सचेंज किए गए, बल्कि लोगों ने कम मात्रा में ही सही अपने डिपॉजिट निकाले भी हैं।
जनधन खातों मे अचानक 23 करोड 25 लाख रुपये जमा होने पर कांग्रेस को शंका है कि इनमें से अधिकांश रुपया भाजपा नेताओं का है। जिन्होंने जन धन खाता धारकों की गरीबी ओर अज्ञानता का फायदा लालज देकर उठाया है। युवक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आशीष भूरिया ने यह आरोप लगाते हुए जन धन योजना के खातों मे जमा हुए रुपयों की सीबीआई जांच की मांग की है।
वहीं भाजपा के जिलाध्यक्ष दौलत भावसार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के दो साल पहले 20 करोड़ से अधिक जन धन खाते क्यों खुलवाए यह समझने वाली बात है। क्योंकि वे देश के गरीबों को बैंकिंग सिस्टम और देश के समग्र विकास की मुख्य धारा में लाना चाहते थे।