इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर संभाग के देवास जिले के सोनकच्छ के जैन तीर्थ स्थल पुष्पगिरि में नया इतिहास रच गया। आचार्य श्री पुष्पदंत सागरजी महाराज ने एक भव्य समारोह में अपने चार शिष्यों को एक साथ आचार्य की पदवी से विभूषित किया। इस अवसर पर देशभर से हजारों की संख्या में लोग पुष्पगिरी पहुंचे थे। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी दिगंबर जैन आचार्य ने एक साथ चार शिष्यों को आचार्य बनाया है।

आचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज ने हजारों लोगों की उपस्थिति में अपने शिष्य मुनि श्री प्रसन्न सागरजी महाराज, मुनिश्री पुलक सागरजी महाराज, मुनिश्री प्रमुख सागरजी महाराज एवं मुनिश्री प्रणाम सागरजी महाराज के मस्तक पर स्वास्तिक बनाकर एवं मंत्रोच्चारण के साथ आचार्य पद पर आसीन किया। अब यह चारों मुनि आचार्य के रूप में अपने अलग संघ बनाकर साधकों को जैनेश्वरी दीक्षा दे सकेंगे और अपने अलग मुनि संघों का संचालन कर सकेंगे।

इस अवसर पर नव आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज ने कहा कि गुरु ने बड़ा दायित्व दिया है। हम इसे जैन आगम पर चलते हुए निभाने का प्रयास करेंगे। आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने कहा कि अभी हम आचार्य पद ग्रहण करने की मनोस्थिति में नहीं थे, किन्तु गुरु आदेश से हमने यह पद धारण किया है। उन्होंने कहा कि बेशक हमें गुरु ने यह पद दिया है लेकिन हममें गुरु पुष्पदंत सागरजी जैसे शिष्य तैयार करने की क्षमता शायद नहीं है। आचार्य श्री प्रमुख सागर जी ने कहा कि मैं तो कानपुर के कबाड़ा बाजार में था, मुझे पत्थर से हीरा बनाने का काम आचार्य पुष्पदंत सागर एवं मुनिश्री पुलक सागरजी ने किया था। आचार्य श्री प्रणाम सागर जी ने कहा कि वे आचार्य बनने के बाद हरिद्वार और बद्रीनाथ में मौन रहकर चार साल साधना करना चाहते हैं यदि गुरु आज्ञा हुई तो करूंगा।

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