भोपाल. जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार केंद्र सरकार ने प्रदेश की सरकारों को उसका हिस्सा (स्टेट जीएसटी) वितरित किया है। इस हिसाब से मप्र समेत कई प्रदेशों के राजस्व में गिरावट दिख रही है। पिछले साल अगस्त में मप्र को 1780 करोड़ का राजस्व मिला था। इसमें से डीजल, पेट्रोल और एविएशन फ्यूल हटा दें तो यह आंकड़ा तकरीबन 1200 करोड़ होता है। लेकिन जीएसटी के बाद यह घटकर महज 900 करोड़ रह गया है, जबकि केंद्र सरकार के अनुमान के हिसाब से अगस्त में प्रदेश को 1400 करोड़ रुपए मिलने थे।

खजाने में इजाफे की उम्मीद लगाए बैठी मध्यप्रदेश सरकार के लिए परिणाम उत्साहजनक नजर नहीं आ रहे हैं। इसी रफ्तार से राजस्व में कमी आती रही तो वित्तीय वर्ष के अंत में यह आंकड़ा 3000 करोड़ के ऊपर भी जा सकता है। राजस्व में आ रही गिरावट की जानकारी से सरकार चिंतित तो है पर जताना नहीं चाहती। हालांकि केंद्र ने राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया है, लेकिन जब तक केंद्र से यह भरपाई नहीं होती है तब तक तो राज्य को अपना वित्तीय संतुलन बनाने में दिक्कतें आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जाहिर है चुनावी वर्ष में वित्तीय संसाधनों की कमी को रोकने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार को ज्यादा लोन लेना पड़ सकता है। दरअसल जीएसटी लागू होने के बाद अधिकांश कर समाप्त कर दिए गए हैं और राज्यों को हर दो माह में उनका हिस्सा देने की बात की गई है। यही नहीं केंद्र सरकार ने राज्यों को आश्वस्त किया है की उन्हें उनके कर राजस्व का 14 प्रतिशत अधिक मिलेगा।

अक्टूबर के बाद दिख सकता है असर
सीजीएसटी और एसजीएसटी के कलेक्शन में केंद्र का हिस्सा देने के बाद प्रदेश के खाते में कम रकम आई है, जबकि इंटर स्टेट ट्रेड पर लगने वाले आईजीएसटी में इसके हिस्से का आकलन अभी नहीं हो सका है। मौजूदा ट्रेंड को शीर्ष अधिकारी न्यूट्रल करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि कुछ वजहों से जुलाई में सेल्स और टैक्स कलेक्शन घटना स्वाभाविक है। अक्टूबर के बाद ही जीएसटी का खजाने पर वास्तविक असर दिख सकता है।

अभी तो वैट का एडजस्टमेंट भी होना है
जानकारों के अनुसार जून में काफी स्टॉक क्लियर होने से जुलाई में सेल कम हुई। इसके अलावा बड़ी संख्या में असेसी अब तक रिटर्न नहीं भर सके हैं या उनके रिटर्न स्वीकार नहीं हो सके हैं। इसके अलावा वैट एडजस्टमेंट भी होना है। यानी मौजूदा ट्रेंड में अभी और बदलाव कि गुंजाइश है और जीएसटी का वास्तविक ट्रेंड दो-तीन महीने बाद ही देखा जा सकता है।

जीएसटी काउंसिल में उठ सकता है मुद्दा
राजस्व में कमी का मुद्दा जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में भी उठाया जा सकता है | काउंसिल की अगली बैठक 9 सितंबर को हैदराबाद में होनी है | केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में राज्य राजस्व की कमी का मुद्दा उठा सकते है क्योंकि अधिकांश राज्य इससे प्रभावित है |

छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान में भी घटा राजस्व
पिछले साल अगस्त में ही छत्तीसगढ़ को 865 करोड़ का राजस्व और राजस्थान को 1300 करोड़ का राजस्व मिला था। इस बार उन्हें क्रमश: 543 करोड़ और 1200 करोड़ ही मिले हैं। गुजरात को भी लगभग 200 करोड़ कम राजस्व मिला। राज्यों को ये डर भी सता रहा है कि घाटे की भरपाई कितनी करेगा यह भी तय नहीं है। सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग के सूत्रों के अनुसार अधिकांश राज्यों के राजस्व में गिरावट देखी गई है। इसे पटरी पर आने में कुछ वक्त तो लगेगा।

उम्मीद से कम राशि मिली है
यह सही है कि जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को उम्मीद से कम राशि मिली है। अभी यह सिस्टम नया है इसलिए इसको पटरी में आने में थोड़ा वक्त तो लगेगा। राजस्व में आयी कमी की भरपाई करने का वादा केंद्र सरकार पहले ही कर चुकी है।
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