भोपाल। मध्यप्रदेश के निजी मेेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में एनआरआई सीटों में दाखिले में गड़बड़ी की एक बड़ी वजह सामने आई है। इन सीटों पर दाखिले में कई साल से गड़बड़ी की शिकायतें आने के बाद भी संचालनालय चिकित्सा शिक्षा ने दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी खुद कॉलेज को दे दी।

इसके बाद निगरानी भी नहीं की। इसी का फायदा उठाकार निजी कॉलेजों एनआरआई कोटे की 100 से ज्यादा सीटों पर तय एनआरआई की जगह दूर के रिश्तेदारों को इस कोटे के तहत दाखिला दे दिया। एक छात्र की याचिका पर हाईकोर्ट में बुधवार या गुरुवार को इस मामले की सुनवाई हो सकती है।

दरअसल, निजी कॉलेजों में 15 फीसदी सीटें एनआरआई कोटे की होती हैं। एमबीबीएस कोर्स में सभी कॉलेजों में 150 सीटें हैं। इनमें 23 सीटें एनआरआई कोटे की हैं। 2017-18 में एनआरआई की कुल 154 सीटों में 113 सीटें एनआरआई उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवंटित हुई थीं।

इनमें करीब 67 सीटें पहले चरण में मप्र के मूल निवासी एनआरआई से व बाकी दूसरे दौर में भरी गईं। संयुक्त काउंसलिंग के तहत मापअप राउंड छोड़ निजी कॉलेजों की बाकी सीटें सरकार ने ही भरी थीं, पर एनआरआई सीटें भरने की काम निजी कॉलेजों की सौंप दिया।

संचालनालय चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) द्वारा इन सीटों की काउंसलिंग की जाती तो दस्तावेजों की जांच के दौरान फर्जी एनआरआई पकड़ में आ जाते। डीएमई ने हर कॉलेज के लिए एक नोडल ऑफीसर नियुक्त किया था, पर उनका काम भी दाखिला लेने वाले छात्रों की गिनती तक ही सीमित रहा।

डीएमई ने तीसरी गलती यह कि कॉलेजों से सूची मिलने के बाद कॉलेजों से उम्मीदवारों के दस्तावेज नहीं मांगे। बता दें कि हेल्थ एक्टिवस्ट डॉ. आनंद राय ने एनआरआई सीटों की फर्जी तरीके से भरने की शिकायत डीएमई, एसटीएफ व अन्य अधिकारियाें से तीन साल पहले की थी।

पहली सिर्फ उम्मीदवार को एनआआई माना, बाद में बदल दिया नियम

प्रवेश नियमों पहले यह व्यवस्था की गई थ्ाी कि उम्मीदवार के ही एनआरआई होने पर एनआरआई कोटे के तहत दाखिला दिया जाएगा। इसके लिए तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर का हवाला दिया गया था। बाद में काउंसलिंग कमेटी ने आयकर अधिनियम के धारा के तहत उम्मीदवार के अलावा माता-पिता या दादा-दादी के एनआरआई होने पर उम्मीदवार को एनआरआई मान लिया। इसके लिए प्रवेश नियमों में दोबारा बदलाव किया गया।

निरस्त हो सकता है दाखिला

मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आरएस शर्मा ने बताया कि 2016 में एनआरआई कोटे में नियम विरुद्ध भरे गए एमबीबीएस छात्रों के एडमिशन निरस्त करने के लिए संचालनालय चिकित्सा शिक्षा व एमसीआई को पत्र लिखा है। 2018 में मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई सीटों में हुए दाखिले की जांच रिपोर्ट भी डीएमई से मांगी है। इसमें प्रवेश नियम में तय एनआरआई के दायरे में नहीं आने वाले छात्रों का परीक्षा के लिए अयोग्य कर दिया जाएगा। साथ ही 2016 की तरह इनका प्रवेश निरस्त करने के लिए भी डीएमई व एमसीआई को पत्र लिखेंगे।

किस कॉलेज में कितने एडमिशन हुए

अमलतास मेडिकल कॉलेज- 21

चिरायु मेडिकल कॉलेज- 21

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज – 19

एलएन मेडिकल कॉलेज- 15

पीपुल्स मेडिकल कॉलेज -10

आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज- 13

अरविंदो मेडिकल कॉलेज – 14

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