भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के चिरंजीव अजय सिंह राहुल। इनका जलवा उस समय भी बरकरार था जब मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। क्योंकि अजय सिंह राहुल नेता प्रतिपक्ष थे। वह हर रोज सरकार की घेराबंदी करते थे। प्रदेशभर के लोग उनके पास समस्याएं लेकर आते थे। अजय सिंह नेता प्रतिपक्ष होने के नाते दबाव बनाकर लोगों की समस्याएं हल करवा दिया करते थे। परंतु अब यह सब कहानियां है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद अजय सिंह राहुल अब अपनी समस्याएं भी हल नहीं करवा पा रहे हैं।

अजय सिंह राहुल ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा, मैं कई विकास कार्यों को करना चाहता हूं, युवाओं को रोजगार देना चाहता हूं और यहां सिंचाई प्रणाली में सुधार करना चाहता हूं लेकिन मेरी आवाज अब नहीं सुनी जा रही है। इस तरह अजय सिंह ने अपना वह दर्द सार्वजनिक कर दिया जो पिछले 1 साल से उनके दिल में दबा हुआ था। विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव हारने के बाद उनकी अब प्रदेश में कांग्रेस सरकार होते हुए भी उनकी कोई बात कोई नेता नहीं सुन रहा है। मुख्यमंत्री का दावेदार नेता उनके यहां लोगों का दरबार लगता था अब उनसे कोई मिलने भी नहीं आता है। सब जानते है कि अब उनकी कहीं नहीं चल रही है।

मध्यप्रदेश में जब विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थी तब अजय सिंह राहुल पूरी तरह से आश्वस्त थे कि वो मध्यप्रदेश के एक शक्तिशाली नेता है और कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष होने के नाते अजय सिंह का दावा मजबूत नजर आता था लेकिन जब विधानसभा चुनाव हुए तो अजय सिंह राहुल अपने ही गढ़ से बिल्कुल उसी तरह शर्मनाक तरीके से हार गए जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा चुनाव हारे थे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के विशेष संरक्षण के चलते विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद भी उन्हें लोकसभा का टिकट दिया गया। लोकसभा का चुनाव लड़ना अजय सिंह की राजनीति के लिए सबसे बड़ी गलती थी। जिस लोकसभा चुनाव की आंधी में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे वटवृक्ष गिर गए। उसमें अजय सिंह कैसे टिक पाते थे। और इस तरह अजय सिंह राहुल की राजनीति का लगभग अंत हो गया।

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