लखनऊ। यूपी लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश में सरकार ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान किए हैं। अधिनियम के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी को जानबूझकर बीमारी से संक्रमित करता है और उसकी मौत हो जाती है तो आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
अध्यादेश में व्यवस्था की गई है अगर कोई व्यक्ति किसी को संक्रामक रोग से जानबूझकर उत्पीड़ित करता है तो उसे 2 से 5 साल तक की जेल और 50 हजार से 2 लाख तक का जुर्माना वसूला जा सकता है। अगर जानबूझकर कोई 5 या अधिक व्यक्तियों को संक्रमित कर उत्पीड़ित करता है तो उसे 3 से 10 साल तक जेल हो सकती है। साथ ही 1 लाख से 5 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है। अगर इस उत्पीड़न की वजह से मौत हुई तो तो कम से कम 7 साल की सजा और अधिकतम आजीवन कारावास तक हो सकता है। वहीं 3 लाख से 5 लाख रुपये जुर्माने की भी सजा तय की गई है।
राज्य महामारी नियंत्रण प्राधिकरण बनेगा
यूपी लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश के तहत सीएम योगी की अध्यक्षता में राज्य महामारी नियंत्रण प्राधिकरण बनेगा, जिसमें मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह, स्वास्थ्य, वित्त के प्रमुख सचिव, राहत आयुक्त और महानिदेशक चिकित्सा सदस्य होंगे। अध्यादेश के नियमों के अनुपालन व मॉनिटरिंग के लिए जिला महामारी नियंत्रण प्राधिकरण बनाया जाएगा। इसका अध्यक्ष जिलाधिकारी होगा।
जिला प्राधिकरण में एसपी व सीएमओ भी शामिल होंगे। राज्य प्राधिकरण महामारी के रोक संबंधित उपायों के बारे में सरकार को राय देगा। वहीं, जिला प्राधिकरण विभिन्न विभागों के बीच कार्यों संग समन्वय स्थापित करेगा और नीतियों को अमल कराएगा। राज्य प्राधिकरण को लॉकडाउन घोषित करने की भी शक्ति होगी।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया तय कर सकेगी सरकार
अध्यादेश में यह भी शक्ति दी गई है कि सरकार पीड़ित व्यक्तियों के मृत शरीरों के निस्तारण या अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी निर्धारित कर सकती है। अगर किसी व्यक्ति या किसी संगठन के जानबूझकर या उपेक्षापूर्ण आचरण से नुकसान होता है तो उसकी वसूली भी उसी से की जाएगी। अगर इस कृत्य से कसी की मौत हो जाती है तो दोषी से सरकार के दिए गए मुआवजे के बराबर वसूली की जा सकेगी।