ग्वालियर। भागवताचार्य मुकेश महाराज भोपाल ने कहा है कि जहां नारियों का सम्मान और पूजा होती है वहां पर देवताओं का वास होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां नारियों का अपमान होता है वहां से देवीय शक्तियां चली जाती हैं और अशांति पैदा होती है।
आचार्य मुकेश महाराज हरीशंकरपुरम बी ब्लॉक में चल रहीं संगीतमय श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के समापन पर धर्म प्रेमी रसिकों को संबोधित कर रहे थे। आचार्य मुकेश महाराज ने कथा को आगे बढाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने भौमासुर नामक दैत्य का वध किया। इस भौमासुर दैत्य ने १६ हजार राजकुमारियों को कैद कर रखा था। जब इन राजकुमारियों ने भगवान से प्रार्थना की भगवान ने दैत्य भौमासुर का वध कर दिया। और राजकुमारियों को मुक्त करवाया। उन्होंने कहा कि जब भौमासुर का वध भगवान ने किया तो उसकी मां ने भगवान की स्तुति की और यह कहा कि भले ही यह मेरा पुत्र था लेकिन इसने नारी शक्ति का अपमान किया। उन्होंने कहा कि नारीशक्ति को देवी का रूप कहा गया है शास्त्रों में भी इसका वर्णन है-यत्र नारयन्तु पूजन्ते रमन्ते तत्र देवता। उन्होने कहा कि भगवान ने इस चरित्र के माध्यम से नारी शक्ति की महानता की बात कही।
आचार्य मुकेश महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने सुदामा की मित्रता से मित्र धर्म को बताया है। उन्होंने कहा कि अगर जीवन में किसी से मित्र का संबंध बनाया है चाहे वह अमीर हो या गरीब हो हमको अपना बनया हुआ संबंध हमेशा निभाना चाहिए। उन्होने कहा कि सुदामा जी गरीब ब्राह्मण थे और द्वारकाधीश एक राजा। उसके बाद भी भगवान ने सुदामा के चरणों में बैठकर सुदामा त्याग की महिमा का गुणगान किया। इतना ही नहीं एक मुठठी चावल खाकर भगवान ने सुदामा को अतुल वैभव संपत्ति प्रदान कर दी इसका भाव यह है कि भगवान को थोडा भी अर्पण करोगे तो भगवान उसपर अनंत कृपा करते हैं। श्रीमद भागवत कथा के अंत में परीक्षित मोक्ष की कथा हुई। इससे पहले श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में हवन हुआ। कथा विराम के साथ ही व्यास पूजन एवं भंडारे का भी आयोजन किया गया।