भोपाल ! मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बन रहे इंदिरा सागर बांध प्रभावित तीन जिलों के प्रभावितों का जल सत्याग्रह मंगलवार को 10 वे दिन भी जारी रहा। आंदोलनरत 14 महिलाओं की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भोपाल में नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा कि खंडवा, हरदा और देवास में हजारों प्रभावितों का सत्याग्रह जारी है। उनका आरोप है कि जल सत्याग्रह को सरकार द्वारा धारा 144 लगाकर कुचलने का प्रयास किया गया, इसे तोड़कर गिरफ्तारियां दीं और अब यह आंदोलन छह स्थानों तक फैल चुका है।

आंदोलनकारियों ने मंगलवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज भोपाल में मुलाकात कर इंदिरा सागर प्रभावितों की गंभीर स्थिति एवं जल सत्याग्रह के बारे में अवगत कराया। सुषमा स्वराज ने गंभीरता से पूरी बात सुनने के बाद कहा वे इस विषय पर मुख्यमंत्री से बात कर शीघ्र निर्णय लेंगी। बताया गया है कि जल सत्याग्रहियों के शरीर धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे हैं। कई को बुखार, खुजली होने के साथ खून भी रिसने लगा है। पानी गंदा होने से गंभीर बीमारी का खतरा है। मालूद में जल सत्याग्रह कर रहीं 14 महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अग्रवाल का आरोप है कि इंदिरा सागर से 254 गांव प्रभावित हुए हैं, जमीन के बदले जमीन की नीति होने के बावजूद एक भी प्रभावित को जमीन दिए बिना थोड़ा मुआवजा देकर उजाड़ दिया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 85 से अधिक किसान कोई जमीन नहीं खरीद पाए और भूमिहीन बन गए हैं।
इसके अतिरिक्त हजारों परिवारों का भू-अर्जन एवं पुनर्वास बाकी है। सर्वोच्च न्यायलय एवं उच्च न्यायालय की 260 मीटर के ऊपर जलाशय भरने से रोक के बावजूद बांध में पानी 26213 मीटर तक भर दिया गया है, जिस कारण लछोरा, कालिसराय, पिपलानी आदि अनेक गावों में घरों में पानी भर गया है और लगभग 2000 एकड़ जमीन टापू बन गई है।

 

 

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