लोकसभा अध्यक्ष व इंदौर से आठ बार की सांसद रहीं सुमित्रा महाजन ‘ताई’ का राजनीतिक पुनर्वास छत्तीसगढ़ या महाराष्ट्र की राज्यपाल के रूप में हो सकता है। भाजपा की केंद्रीय समिति में इस पर विचार किया जा रहा है। उधर, मध्यप्रदेश से ही सांसद रही पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को भी बड़े राज्य के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

1989 से 2014 तक के लोकसभा चुनावों में लगातार सांसद चुनी जाने वालीं ताई ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने से तब इंकार कर दिया था जब उनका नाम घोषित होने में संगठन की ओर से देरी की जा रही थी। बीते आठ चुनावों में ताई का नाम भाजपा की पहली या दूसरी सूची में घोषित हो जाता था। इस बार 75 वर्ष उम्र के फॉर्मूले में आने से चुनाव के पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि ताई चुनाव लड़ेंगी या नहीं। उधर, लोकसभा अध्यक्ष और वरिष्ठता को देखते हुए पार्टी अध्यक्ष सहित मध्यप्रदेश प्रभारी भी सीधे यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे थे।

इसी असमंजस को देखते हुए ताई ने ही एक पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखते हुए कहा था कि मुझे लगता है पार्टी को मेरे टिकट पर निर्णय करने में संकोच हो रहा है, ऐसी स्थिति में मैं खुद ही चुनाव नहीं लड़ना चाहती। भाजपा की समर्पित कार्यकर्ता होने के नाते सदैव कार्य करती रहूंगी। ताई के इस पत्र के बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर सहित कई पदाधिकारियों ने भी घर पहुंचकर ताई से मुलाकात की थी। उसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि चुनाव नहीं लड़ने पर ताई का राजनीतिक पुनर्वास कैसे होगा।

ताई के महाराष्ट्र या छत्तीसगढ़ की राज्यपाल बनने की संभावना सबसे ज्यादा है। इसका कारण यह है कि महाराष्ट्रीयन होने से उनका दखल महाराष्ट्र की राजनीति में रहा है। लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उनकी सक्रियता भी महाराष्ट्र में रही है। ताई का जन्म स्थान भी महाराष्ट्र है। उधर, मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में पूर्णकालिक राज्यपाल का पद अगस्त 2018 से खाली है। फिलहाल प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल अतिरिक्त प्रभार के रूप में यह जिम्मेदारी संभाल रही हैं। मध्यप्रदेश से जुड़ाव बने रहने और नजदीक होने से भी उन्हेंछत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। बतौर लोकसभा अध्यक्ष ताई के पास संसदीय कार्य का अनुभव तो है ही, वे संगठन और सरकार के कामकाज को लेकर भी बेहद स्पष्ट रहती हैं। नियमों का पालन भी सख्ती से करवाती हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार जून अंत तक इस पर फैसला हो सकता है।

कुछ दिन पहले भी ताई को महाराष्ट्र की राज्यपाल नियुक्त किए जाने संबंधी संदेश सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए थे। उसमें भाजपा पदाधिकारियों ने भी ताई को बधाई दे दी थी। बाद में स्पष्ट हुआ कि ऐसा कोई आदेश अभी जारी नहीं हुआ है। भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी ने जिन नेताओं को उम्र या स्वास्थगत कारणों से चुनाव नहीं लड़वाया, उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। इसमें संगठन के पदों पर तैनाती के साथ ही बतौर राज्यपाल की जिम्मेदारी शामिल है।

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