भोपाल।      भारत निर्वाचन आयोग ने राजनैतिक दलों द्वारा निर्वाचन संबंधी गतिविधियों में बच्चों का उपयोग न किये जाने के संबंध में सख्त निर्देश दिये हैं। आयोग के निर्देश पर कार्यवाही करते हुए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने प्रदेश के समस्त कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को इस संबंध में राजनैतिक दलों को अवगत करवाने को कहा है।

निर्वाचन आयोग ने चुनाव संबंधी विभिन्न गतिविधियों में बच्चों के उपयोग पर सख्त एतराज जताते हुए इसे अत्यंत आपत्तिजनक माना है। आयोग की मंशा है कि किसी भी राजनैतिक दल द्वारा बच्चों के प्रति इस तरह की संवेदनहीनता नहीं बरती जाये। आयोग ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि निर्वाचन संबंधी किसी भी प्रक्रिया में बच्चों का उपयोग न होने पाये। निर्वाचन संबंधी ऐसे कार्यों में चुनाव प्रचार, प्रचार सामग्री का लाना-ले जाना आदि शामिल है। आयोग की दृष्टि में सभी राजनैतिक दलों की यह जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि इन निर्देशों का किसी भी तरह उल्लंघन न होने पाये। इस मामले में दोषी पाये जाने पर राजनैतिक दलों को संबंधित कानून के अलावा निर्वाचन आयोग की कार्यवाही का सामना भी करना पड़ सकता है।

चुनाव आयोग ने राजनैतिक दलों का ध्यान बाल-श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) अधिनियम-1986 की ओर दिलाया है। अधिनियम में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सामान्य परिवहन आदि ऐसे विशिष्ट व्यवसायों में रोजगार देने पर प्रतिबंध है, जो बच्चों के लिये असुरक्षित और नुकसानदेह माने जाते हैं। इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दण्ड का प्रावधान है। साथ ही ऐसे अन्य कानून भी हैं, जिनमें बच्चों से काम करवाने पर रोक है। ये अधिनियम उन सभी प्रतिष्ठान और वर्कशॉप पर लागू होता है, जिनमें औद्योगिक प्रक्रिया चलाई जाती है।

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