ईवीएम और वीवीपैट को लेकर उठते सवालों के बीच चुनाव आयोग ने एक बार फिर कहा कि इसके साथ गड़बड़ी नहीं हो सकती है। इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफाइड पेपर ट्रेल मशीन (वीवीपैट) के बीच का डेटा सौ फीसदी सटीक है। इसकी सटीकता और प्रामाणिकता इस बात से प्रमाणित होती है कि दोनों के परिणाम एक जैसे हैं।
दोनों इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के परिणाम में कोई अंतर नहीं है। साल की शुरुआत में चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था, इसके आंकड़े एक दम सही सामने आए हैं। पश्चिम बंगाल में 1,492 वीवीपैट, तमिलनाडु में 1,183, केरल में 728, असम में 647 और पुडुचेरी में 156 वीवीपैट लगाए गए थे। बता दें कि वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची यह बता देती है कि आपका वोट किस उम्मीदवार को गया है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर ईवीएम की गिनती के साथ वीवीपैट पर्चियों को मिलान करने का आग्रह किया था। उसी पर चुनाव आयोग ने कहा कि दोनों की सत्यता सौ फीसदी सटीक है। वीवीपैट का पहली बार इस्तेमाल सितंबर 2013 में नगालैंड के चुनाव में हुआ था। उसके बाद 2019 के आम चुनाव में भी वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में कुछ जगहों पर इसका उपयोग किया गया था।