नई दिल्ली | केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 28 फरवरी को बजट पेश करेंगे और अर्थशास्त्रियों एवं विश्लेषकों का मानना है कि इस दौरान वह विकास को गति देने के लिए कड़े कदम उठाने के साथ-साथ वित्तीय अनुशासन लागू कर सकते हैं। चिदंबरम ऐसे समय में बजट पेश कर रहे हैं जब भारत का आर्थिक विकास दशक के निचले स्तर पर तथा चालू खाता घाटा अब तक के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। वहीं वित्तीय घाटे में तेजी जारी है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग घटाने से चिदंबरम की परेशानी और बढ़ गई है। डेलॉयट इंडिया के वरिष्ठ निदेशक अनीस चक्रवर्ती ने कहा, “हम विकास को गति देने के लिए मजबूत कदम की उम्मीद कर रहे हैं। बढ़ता घाटा भी बड़ी चुनौती है। चालू खाता घाटा अपेक्षाकृत अधिक चिंता का विषय है। वित्तीय एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदमों की आवश्यकता है।” केंद्रीय सांख्यिकी संग्ठन (सीएसओ) के अनुमान के मुताबिक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) मार्च की समाप्ति पर पांच फीसदी रहने की संभावना है। यह 2002-03 के बाद अर्थव्यवस्था की सबसे खराब स्थिति है। इस बीच फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा, “हम यह उम्मीद कर रहे हैं कि बजट विकास के अनुकूल और पूंजी के निर्माण के बढ़ावा देने वाला हो।” रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और फिच ने भारत को बीबीबी ऋणात्मक रेटिंग दी है इसके मुताबिक भारत के लिए दूसरे देशों से कर्ज लेना महंगा होगा। इससे भारतीय मुद्रा और सरकार एवं कारपोरेट सेक्टर द्वारा होने वाला पूंजी का प्रवाह भी प्रभावित होगी जिससे चालू खाता घाटा की समस्या उत्पन्न होती है। एंजल ब्रोकिंग के मुताबिक चिदंबरम वित्तीय घाटे को कम करने के लिए कड़े कदम उठा सकते हैं तथा जनाधिकारवादी कदम चुनाव के नजदीक लिए जाएंगे। इस बीच, अकाई इंडिया के प्रबंध निदेशक प्रणय धाभाई ने कहा, “सकारात्मक बजट अर्थव्यवस्था को सरल बनाने के साथ-साथ जीडीपी के विकास को गति प्रदान करेगा।” इसके साथ ही वह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के संदर्भ में उठाए जाने वाले संभावित कदम को भी महत्वपूर्ण मानते हैं।