भिण्ड । देश और दुनियाभर में दस्युओं के लिये बदनाम रहे चम्बल अंचल की पहचान बदलने बाली है। उत्तरप्रदेश सरकार ने इटावा में चम्बल नदी के किनारे के लगभग 150.83 एकड रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में एशियाई शेरों के संरक्षण व प्रजनन के लिये लॉयन सफारी पार्क बनाने की प्रक्रिया शुरु कर दी है।
प्रस्तावित लॉयन सफारी पार्क गुजरात के जूनागढ के एशियाटिक लॉयन ब्रीडिंग सेन्टर के बाद एशियाई शेरों का देश का दूसरा सबसे बडा अभयारण्य होगा। ग्वालियर-इटावा नेशनल हाई-वे पर स्थित मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले से केवल 25 किलोमीटर दूर उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती इटावा जिले में लॉयन सफारी के निर्माण की यह महत्वाकांक्षी योजना उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव ने 2005 में बनाई थी। उत्तरप्रदेश सरकार ने इसके लिये सनू 2005 में ही भिण्ड-इटावा नेशनल हाई-वे नंबर 92 पर चम्बल घडियाल सेंचुरी से सटी उत्तरप्रदेश वन महकमे की 150.83 हैक्टेयर सुरक्षित वनभूमि का अधिग्रहण किया था। बीच में उत्तरप्रदेश में बसपा की सरकार आ जाने के बाद से यह योजना ठण्डे बस्ते में पडी थी। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस योजना को शीघ्रता से मूर्त रुप देने के लिये केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तकनीकी समिति और सेन्ट्रल जू अथारिटी की अंतिम सहमति हासिल कर ली है। अखिलेश यादव ने अपने गृह जिले इटावा में लॉयन सफारी पार्क के लिये हाल ही में 89 करोड रुपये मंजूर किये है और इटावा के वन महकमे को उसमें से 4.5 करोड रुपये देकर योजना का कार्य तत्काल शुरु करने के लिये आदेश जारी भी कर दिये हैं।
लॉयन सफारी परियोजना इटावा के प्रभारी अधिकारी गुरुमीत सिंह ने बताया कि उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के नेशनल हाई-वे 92 से सटे उदी व उसके आसपास की रिजर्व फॉरेस्ट लैण्ड पर लॉयन सफारी का उेवलपमेंट किया जा रहा है। शासन ने उत्तरप्रदेश विकास परिषद को निर्माण एजेन्सी बनाया है। सफारी क्षेत्र में शेरों के लिये केव्स, वाटररिजर्वायर, प्लाण्टेशन किया जायेगा तथा पर्यटकों के लिये भी सडक, रेस्टहाउस, रिसॉर्ट आदि संसाधन विकसित किये जायेंगे।
परियोजना की मंजूरी के मामले से जुडे सेन्ट्रल जू अथोरिटी के सदस्य  आरएस भदौरिया ने बताया कि परियोजना क्षेत्र में उपलब्ध फिशर फॉरेस्ट एशियाई शेरों के लिये बेहद अनुकूल आवास है। प्रस्तावित लॉयन सफारी पार्क में सबसे पहले शेरों का ब्रीडिंग सेन्टर शुरु होगा जिसमें देश के अन्य वन्य प्राणी केन्द्रों से शेरों के जोडों को एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत लाया जायेगा, जब यहां उनसे सात-आठ शावकों का जन्म हो जायेगा, तब उसे लॉयन सफारी के रुप में इन्ट्रोड्यूज किया जायेगा। फिलहाल चम्बल सफारी में  उबड-खाबड बीहडों को समतलीकरण का काम शुरु कर दिया गया है। इसमें 150 हैक्टेयर वनभूमि को सेफ जोन में और 83 हैक्टेयर वनभूमि को बफर जोन में रखा गया है।

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