ग्वालियर। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा को जोडने वाला ग्वालियर-इटावा नेशनल हाइवे 92 पर भिण्ड जिले के बरही चंबल नदी के पुल के छठे पिलर की बेयरिंग टूट गई है। इससे पुल का एक स्लैब नीचे धसक गया है। आज से चंबल पुल से वाहन निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया है। मध्यप्रदेश के भिण्ड से उत्तरप्रदेश के आगरा, कानपुर जाने वाले वाहन फूफ से सहसों, चकरनगर से उदी चौराहा होते हुए इटावा जाएंगे। ग्वालियर से इटावा, कानपुर जाने वाले वाहन मुरैना, आगरा होकर निकाले जाएंगे। पुल पर वाहन रोकने ईंटों की दीवार बनाई जाएगी। नेशनल हाइवे जोन पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री एमसी शर्मा का कहना है पुल की बेयरिंग बनवाने बात चल रही है। बेयरिंग बनने के बाद मेंटेनेंस होगा। ऐसे में प्रतिबंध कितने दिन रहेगा यह फिलहाल नहीं बताया गया है।
भिण्ड और इटावा की सीमा को जोडने वाला चंबल नदी का पुल बरही गांव के पास वर्ष 1976 में आवागमन के लिए खोला गया। इस पुल को बने 42 साल पूरे हो चुके हैं। चंबल पुल पर इटावा की ओर से छठे पिलर की बेयरिंग ओवरलोड वाहनों के कारण टूट गई है। इससे पुल की सडक का स्लैब नीचे की ओर धसक गया है। बेयरिंग टूटने की सूचना पर नेशनल हाइवे जोन पीडब्ल्यूडी इटावा के कार्यपालन यंत्री एमसी शर्मा ने अपनी टीम के साथ निरीक्षण किया। बेयरिंग टूटने की पुष्टि होने के बाद उन्होंने चंबल पुल से सभी तरह के वाहनों को निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पुल की दोनों तरफ पुलिस जवान तैनात रहेंगे, ताकि पुल से किसी भी तरह के वाहनों को निकलने से रोका जा सके। साथ ही ईंटों की दीवार बनाई जाएगी, ताकि पूर्ण रूप से प्रतिबंध का पालन हो सके।
ग्वालियर से भिण्ड होकर इटावा की दूरी 112 किमी है। बरही चंबल पुल बंद होने से इटावा जाने के लिए मुरैना-आगरा होकर जाना होगा। ग्वालियर से आगरा 121 किमी और आगरा से इटावा 129 किमी यानी कुल 250 किमी दूरी तय करना होगी, जो ग्वालियर भिण्ड के रास्ते से 138 किमी ज्यादा है। फेर बढने से ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ जाएगा। इससे कुछ दिन रोजमर्रा की चीजों पर महंगाई रहेगी।
ग्वालियर-इटावा नेशनल हाइवे-92 पर चंबल नदी के पुल के पिलर की वर्ष 2003 में भी बेयरिंग टूटी थी। तब पुल को 1 माह बंद किया था। इस बार भी पिलर की बेयरिंग बदलना है। इटावा नेशनल हाइवे जोन पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री एमसी शर्मा का कहना है पुल में पुराने डिजाइन की बेयरिंग है। इस डिजायन की बेयरिंग का निर्माण अब नहीं होता है। इस डिजाइन की बेयरिंग बनवाने उत्तरप्रदेश पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर कंपनी से बात कर रहे हैं। बेयरिंग बनने के बाद पुल का मेंटेनेंस होगा। इसके बाद वाहनों का आवागमन शुरू किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में कितना समय लगेगा, कोई बताने को तैयार नहीं है। इसके असर से शहर में सब्जी, रोजमर्रा के दूसरे सामान के दाम बढेंगे। भिण्ड से इटावा की यात्रा भी महंगी हो जाएगी। भिण्ड-इटावा ट्रेन की पूछ परख बढेगी।
चंबल नदी पर बने पुल का इटावा की ओर से स्लैब 30 सितंबर 2016 को भी टूट गया था। इसके बाद पुल को बंद किया गया था। इसके बाद भी लंबे समय तक चंबल के पुल पर सभी तरह के वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया था। इससे पहले वर्ष 2003 में भी चंबल पुल के पिलर की बेयरिंग टूटी थी। अब 19 महीने बाद फिर चंबल नदी पर बने पुलके पिलर की बेयरिंग टूटने से वाहनों के निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन इस बार पुल से आवागमन कब शुरू होगा, इसको लेकर अधिकारी बता नहीं पा रहे हैं।
चंबल पुल को 42 साल हो चुके हैं। पुल का निर्माण 20-25 टन वजन के वाहनों के आवागमन के लिए किया गया था। वर्तमान में इस पुल से 50-80 टन वजन के वाहन निकलते हैं। पुल में वर्ष 2016 सितंबर में स्लैब टूटने के बाद उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव ने दूसरे पुल को बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन यह प्रस्ताव फाइलों में ही अटका है। चंबल पुल की मरम्मत पर करीब 4 साल पहले उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से 21 लाख रुपए खर्च किए गए थे।
भिण्ड से इटावा जाने के लिए पहले चंबल नदी को नाव या स्टीमर के जरिए पार कराया जाता था। वर्ष 1970 में चंबल नदी पर पुल निर्माण शुरू हुआ था। इसके बाद वर्ष 1976 में निर्माण पूरा होने पर पुल को आमजन के लिए खोल दिया गया था। तब से मध्यप्रदेश को भिण्ड की ओर से इटावा उत्तरप्रदेश को जोडने वाला यह एकमात्र सेतु है। अब अटेर में चंबल नदी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है, जिससे जिले की सीमा आगरा जिले के बाह जैतपुर से जुड जाएगी।
भिण्ड पुलिस अधीक्षक प्रशांत खरे ने आज यहां बताया कि चंबल पुल पर प्रतिबंध होने से वहां पर पुलिस पेट्रोलिंग बढाएंगे, जिससे कोई भी वाहन पुल से होकर न निकले। जरूरत पडी तो पुल पर पुलिस गार्ड भी तैनात किया जाएगा।

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