भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार विकास पर कतई घ्यान नहीं दे पा रही है। कांग्रेस इन दिनों विकास की जगह खो-खो का खेल चल रहा है। कांग्रेस में गुटवाजी इस कदर हावी है कि प्रतिदिन किसी न किसी नेता मंत्री का बयान एक दूसरे के खिलाफ जारी कर दिया जाता है। डॉ. गोविंद सिंह ने सिंधिया को खो किया तो एक मंत्री ने गोविंद सिंह को धप्पा कर दिया। दिग्विजय सिंह ने मंत्रियों को खो किया तो सिंघार ने दिग्विजय सिंह को धप्पा और जयवर्धन सिंह को खो कर दिया। जयवर्धन सिंह ने 24 घंटे भी नहीं बिताए और सीएम कमलनाथ को खो कर दिया।
दिग्विजय सिंह गुट के विधायक एवं मंत्रियों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की टीम के मंत्रियों को टारगेट करके बयानबाजी शुरू की। प्रदेश के सामान्य प्रशासन एवं सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने अपने क्षेत्र में अवैध उत्खनन का मुद्दा उठाया। लोगों ने लगा कि वो कमलनाथ सरकार की पोल खोल रहे हैं, परंतु असल में वो ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला कर रहे थे। सिंधिया समर्थक विधायक व नेताओं ने भी मंत्री डॉ. गोविंद सिंह पर जवाबी हमले किए।
तमाम तनाव के बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चिट्ठी बम फोड़ दिया। ना केवल चिट्ठी लिखी, बल्कि सोशल मीडिया पर लीक भी करवाई। मीडिया ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने अपनी ही पार्टी के मंत्रियों पर हमला किया है परंतु असल में यह भी सिंधिया की टीम को कसने की कसरत थी। इस मामले में मोर्चा वनमंत्री उमंग सिंघार ने संभाला और दिग्विजय सिंह पर हमला कर दिया। सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी और आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह सिंहस्थ घोटाला पर कोई चिट्ठी क्यों नहीं लिखते।
जयवर्धन सिंह ने वनमंत्री उमंग सिंघार के आरोप का तत्काल जवाब दिया और देर रात अपने एक परिचित के हाथों वो नोटशीट भी वायरल करवा दी जिससे प्रमाणित होता है कि सिंहस्थ घोटाला की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय में दबा ली गई है। हालांकि उन्होंने कोई रिमांडर नहीं लिखा परंतु जयवर्धन सिंह निर्दोष हैं।