किसी वक्त काफी डिमांडिंग रही इंजिनियरिंग के प्रति धीरे-धीरे छात्रों की दिलचस्पी में कमी आई है। साल 2012-13 से इंजिनियरिंग में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में करीब 1.86 लाख की कमी आई है। छात्रों की दिलचस्पी कम होने से कई कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं।
ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के मुताबिक, करीब 200 इंजिनियरिंग कॉलेजों ने बंद करने की अनुमति मांगते हुए आवेदन दिए हैं। दूसरे-तीसरे दर्जे के ये इंजिनियरिंग कॉलेज अब दाखिला नहीं लेंगे लेकिन मौजूदा बैच का कोर्स पूरा होने तक चलते रहेंगे। एआईसीटीई के चेयरपर्सन अनिल साहस्रबुद्धे ने बताया, ‘मौजूदा बैच के ग्रैजुएट होने तक ये कॉलेज चलते रहेंगे। लेकिन इस साल से छात्रों को दाखिला नहीं देंगे। यानी अब से तीन-चार साल बाद ये इंजिनियरिंग कॉलेज बंद हो जाएंगे।’
कॉलेजों के बंद होने से इंजिनियरिंग की सीटों में भी गिरावट आएगी। इस साल करीब 80,000 सीटों की कटौती का अनुमान है और 2018-19 समेत चार सालों के अंदर इंजिनियरिंग कॉलेजों में करीब 3.1 लाख सीटें कम हो जाएंगी।
2016 से हर साल इंजिनियरिंग में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या कम हो रही है। एआईसीटीई के मुताबिक, हर साल करीब 75,000 छात्र कम हो रहे हैं। 2016-17 में अंडरग्रैजुएट लेवल पर दाखिले की क्षमता 15,71,220 थी जबकि दाखिले हुए 7,87,127 यानी दाखिले में 50 फीसदी गिरावट आई। 2015-16 में कुल प्रवेश क्षमता 16,47,155 थी जबकि दाखिला 8,60,357 हुआ यानी 52 फीसदी गिरावट।
खैर संतोषजनक बात यह है कि जहां इन कॉलेजों में दाखिला कम हुआ है, वहीं अग्रणी संस्थानों जैसे इंडियन इंस्टिट्यूट्स ऑफ टेक्नॉलजी या नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एनआईटी) में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। एक वरिष्ठ एचआरडी अधिकारी ने बताया कि जो कॉलेज बंद होने वाले हैं, उनको ज्यादातर छात्र पसंद नहीं करते हैं। वे इन कॉलेजों को घटिया समझते हैं। यही कारण है कि आईआईटीज और एनआईटीज में दाखिला बढ़ रहा है।