नयी दिल्ली ! राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पाकिस्तान के साथ जटिल मुद्दों को बातचीत से सुलझाने पर आज जोर दिया लेकिन कहा कि गोलियों की बोछारों के बीच शांति पर चर्चा नही हो सकती। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुये श्री मुखर्जी ने आतंकवादी ताकतों पर कडा प्रहार किया और कहा कि यह बिना किसी सिद्धांत की लडाई और एक कैंसर है जिसका इलाज तीखी छूरी से करना होगा। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा ‘हमे अपने पडोसियों के साथ शांतिपूर्ण वार्ता से अपनी भावनात्मक और भू राजनीतिक धरोहर के जटिल मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिये और यह जानते हुये एक दूसरे की समृद्धि में विश्वास जताना चाहिये कि मानव की सर्वोत्तम परिभाषा दुर्भावनाओं से नही बल्कि सदभावना से दी जाती है1‘ श्री मुखर्जी ने कहा कि असहमति दूर करने सभ्य तरीका संवाद है जो सही प्रकार से कायम रहना चाहिये लेकिन हम गोलियों की बौछार के बीच चर्चा नही कर सकते। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अस्थिरता में चिंताजनक वृद्धि के कारण व्यापक हिस्सों में अभूतपूर्व अशांति है और आतंकवाद की बुराई ने युद्ध को इसके सबसे बर्बर रूप में बदल दिया है ।इस भयानक दैत्य से अब कोई कोना अपने को सुरक्षित महसूस नही कर सकता। राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद उन्मादी उद्देश्यों से प्रेरित है, नफरत की अथाह गहराईयों से संचालित है। यह उन कठपुतलियों द्वारा भडकाया जाता है जो निर्दोष लोगों के सामूहिक संहार के जरिये विध्वंस में लगे हुये है। यह बिना किसी सिद्धांत की लडाई है,यह एक कैंसर है जिसका इलाज तीखी छूरी से करना होगा। आतंकवाद अच्छा या बुरा नही होता यह केवल बुराई है। श्री मुखर्जी ने कहा कि भयानक खतरे के दौरान हमे अपने उपमहाद्वीप में दुनिया के लिये एक पथप्रदर्शक बनने का ऐतिहासिक अवसर मिला है। मैत्री की बेहद जरूरतवाले विश्व के लिये हमारा उदाहरण अपने आप एक संदेश का कार्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी महत्वपूर्ण स्थिरता की बुनियाद तथा मान्यता प्राप्त सीमाओं को नकारते हुये व्यवस्था काे कमजोर करना चाहते हैं। अगर अपराधी सीमाओं तोडने में सफल हो जायेंगे तो हम अराजकता की ओर बढ जायेंगे। विभिन्न देशों के बीच विवाद हो सकते हैं और पडोसियों के बीच विववाद की संभावना अधिक होती है जिसे संवाद से ही दूर किया जा सकता है।