अहमदाबाद… 2002 में गोधरा में ट्रेन के डिब्बे जलाने के मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। अब इस मामले में किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं है। हाई कोर्ट ने एसआईटी की विशेष अदालत की ओर से आरोपियों को दोषी ठहराए जाने और बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर यह फैसला सुनाया। 2011 में एसआईटी कोर्ट ने 11 को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने इस मामले में 63 आरोपियों को बरी किया था। ट्रायल कोर्ट में दोषी ठहराए गए इन आरोपियों का कहना था कि उन्हें न्याय नहीं मिला है और उन्होंने हाई कोर्ट में अपील की थी। साल 2002 में हुई इस घटना की न्यायिक प्रक्रिया में सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शामिल रहे। पिछले 15 साल से चले आ रहे मामले ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।

साबरमती ट्रेन के कोच में लगी थी आग
27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में लगी आग में 59 कारसेवकों की मौत हो गई। इस मामले में करीब 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। बताया जाता है कि इस ट्रेन में भीड़ ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी। गोधरा कांड की जांच कर रहे नानवटी आयोग ने भी ऐसा ही माना। इसके बाद प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़के और उसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए।
बनर्जी समिति की रिपोर्ट को कोर्ट ने किया खारिज
जनवरी 2005 में केस की जांच कर रही यूसी बनर्जी समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया कि एस-6 में लगी आग एक दुर्घटना थी। समिति ने इस बात की आशंका को खारिज किया कि आग बाहरी तत्वों द्वारा लगाई गई थी। 13 अक्टूबर 2006 को गुजरात हाई कोर्ट ने यूसी बनर्जी समिति को अमान्य करार देते हुए उसकी रिपोर्ट को भी ठुकरा दिया। उसके बाद 2008 में एक जांच आयोग बनाया गया और नानावटी आयोग को जांच सौंपी गई जिसमें कहा गया था कि आग दुर्घटना नहीं बल्कि एक साजिश थी।

इसी साल गुजरात में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अभियान की शुरुआत कर दी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात गौरव यात्रा तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी ने नवसृजन यात्रा के जरिए चुनावी बिगुल बजाया। माना जा रहा है कि गोधरा कांड पर आने वाले फैसले का असर निश्चित तौर पर राजनीति पर भी पड़ेगा।

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