ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड में श्री 1008 महावीर स्वामी दिगम्बर कीर्तिस्तंभ जैन मंदिर में विराजमान आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने प्रातः काल के प्रवचनों में कहा कि जो बीत गया उसे जाने दो। रूको मत वरना सड़ जाओगे। बहते पानी में कीड़े नही लगते, काई नही लगती। वह सदा ताजा बना रहता है बहता पानी ऊर्जा देता है, बिजली देता है जबकि ठहरा पानी मच्छर देता है, बदबू देता है। बीते रहो, चलते रहो क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है खड़ी का नाम तो खटारा है आगे बढ़ो, बढ़ते रहो मंजिल तुम्हारा इंतजार कर रही है, जो चलता है, वह ही पहुचता है।

अंतर्मना मुनि श्री ने कहा आदमी बड़ा नासमझ है दूसरों के विषय में बड़ी जल्दी निर्णय कर लेता है कि वह कैसा है? तुम एक मिनट में किसी को भगवान मान लेते हो तो दूसरे मिनट में ही वही तुम्हे शैतान नजर आने लगता है तुम्हारी श्रद्धा बड़ी उथली है बड़ी छिछली है। बड़ी कमजोर है तुम्हारी श्रद्धा नाभि से नही फूटी है। प्राणों से नही जन्मी है वह इतनी उथली है कि कभी भी उलट जाती है। एक पल में मुनि अच्छा हो जाता है तो दूसरे ही पल तुम आलोचना पर उतर आते हो उसकी निंदा करने में भी नही चूकते कौन आदमी कैसा है इसका निर्णय सोच समझकर करो किसी के विषय में उसकी किसी एक क्रिया को देखकर एकदम से निर्णय न करो कि वह क्या है थोड़ी प्रतीक्षा करो। धैर्य से काम लो किसी को झट पट से अपना गुरू मत मान लेना उसे पहले अच्छी तरह से जॉच लोे परख लो फिर गुरू बनाओ फिर उसे प्रणाम करो और यदि एक बार गुरू मान लिया, श्रद्धा से समर्पण दिया तो फिर कभी उसकी आलोचना मत करो, उसमे कमी मत देखो फिर बात बात में तर्क न करो उसे श्रद्धा से जियो उसके आदेशों का ह्दय से पालन करो।

स्वामी रामतीर्थ के विषय में कहा जाता है कि जब उन्हें कोई प्रणाम करने के लिये, नमन करने के लिये आगे बढ़ता तो वे चार कदम पीछे हट जाते और उससे कहते भाई ठहरो। रूक जाओ इतनी जल्दी मत करो, नमन करने में शीघ्रता मत करो पहले मेरे बारे में अच्छी तरह जान लो मै नमन करने के लायक हूॅ या नही। दूसरों की सुनी सुनाई बातों में आकर एकदम से प्रणाम मत करो दूसरे प्रणाम कर रहे है इसलिये मत करो पहले मेरे विषय में अच्छी तरह जॉच पड़ताल कर लो कि मै प्रणाम के काबिल हूू या नही। मेरा चरित्र कैसा है मेरे पास पड़ौस वालो से थोड़ा इस विषय में पूछ लो मेरी परछाई से मेरे बारे में थोड़ी से जानकारी हासिल कर लो कि मै क्या हॅू? मैं गुरू बनने के लायक हूॅ या नही।

One thought on “गुरु को अच्छी तरह जान लो फिर उनको नमन करो-आचार्य प्रसन्न सागर महाराज”

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