70 के दशक में अपनी कलम से कई मर्मस्पर्शी गीत लिखने वाले गीतकार संतोष आनंद आज फैले संगीत के जंगल में कहीं खो से गए हैं। वे किसी परिचय के मोहताज तो नहीं लेकिन उनको इस जमाने से तवज्जो न देने की शिकायत जरूर रही। भले ही लोग ये न जानते हों कि ये गीत किसकी रचना हैं लेकिन उनके गढ़े ठहरावदार गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं।

संतोष आनंद फिल्मों के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित गीतकार के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्म 5 मार्च 1940 को सिकंदराबाद में हुआ था। उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। संतोष आनंद जी का पूरा नाम संतोष कुमार मिश्र है। शिक्षा दीक्षा पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गए। यहीं से उनका गीतकार बनने का उनका संघर्ष शुरू हुआ। काफी मुसीबतों के बाद उन्होंने कदम जमाए और थोड़ा बहुत काम मिलना शुरू हुआ।

संतोष आनंद बताते हैं कि वे मनोज कुमार के बड़े आभारी हैं। सबसे पहले उन्होंने ही उनकी कला को परखा और समझा। उन्होंने ही सबसे पहले ब्रेक भी दिया। 1970 में आई फिल्म “पूरब और पश्चिम” में उनकी कलम को जीवन मिला और ‘पूरबा सुहानी आई रे’ गाने ने कलम को रवानगी दी। इसके बाद तो मानों मनोज उनके कायल हो गए। उन्होंने ज्यादातर फिल्मों में संतोष आनंद से गाने लिखवाए। खुद एक अच्छे गीतकार और लेखक होने की वजह से वे संतोष आनंद की कला को तरजीह देते रहे। इसके लिए संतोष आनंद को काफी खुशी भी थी।

सभी जानते हैं कि हीरे की परख सिर्फ एक जौहरी कर सकता है। उसी तरह इन मामलों में पैनी परख रखने वाले राज कपूर ने भी उन्हें देखा। उन्होंने भी संतोष आनंद जी से कई गीत लिखवाए जो बाद में सुपरहिट साबित हुए। इनमें ‘प्रेमरोगी’ जैसे गाने शामिल हैं। कहते हैं संतोष आनंद के जीवन में न कभी संतोष जगह बना पाया ना हीं उन्होंने कभी आनंद का सुख पाया।

जवानी में ही एक दुर्घटना के कारण उन्होंने अपने पैर खो दिए थे और विकलांग हो गए थे। उनकी निजी जिंदगी उथल पुथल से भरी रही। उनके दो बच्चे थे। बेटे का नाम संकल्प आनंद और एक बेटी शैलजा आनंद। बहू का नाम नंदनी था। शादी के दस साल बाद बड़ी मन्नतों से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ था। संकल्प गृह मंत्रालय विभाग में कार्यरत थे। कहते हैं संकल्प ने अपने पिता को बगैर बताए शादी कर ली थी। एक दिन संतोष आनंद को बड़ा सदमा लगा जब अक्टूबर 2014 में पता चला कि संकल्प आनंद ने अपनी पत्नी के साथ खुदकुशी कर ली है। इसी के साथ वे भी टूट गए।

कहा जाता हैं कि संकल्प काफी समय से मानसिक रूप से परेशान चल रहे थे। उन्होंने आत्महत्या से पहले 10 पन्नों का सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें कई अफसरों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। संकल्प आनंद 15 अक्टूबर 2014 को अपनी पत्नी और बेटी के साथ ही दिल्ली से मथुरा पहुंचे थे। कोसीकलां कस्बे के पास रेलवे ट्रैक पर पहुंचकर मथुरा की ओर से आने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस के सामने कूदकर जान दे दी थी। इस हादसे में उनकी बेटी के प्राण किसी तरह बच गए।

इस तरह संतोष आनंद का पूरा जीवन उतार चढ़ाव से ही भरा रहा। दुखों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। वक्त के आगे मजबूर हो शायद ही उन्होंने कभी चैन की जिंदगी गुजारी होगी। हाल में उन्हें एक सिंगिग शो में देखा गया था। जहां उनकी तंगहाली के बारे में सभी को पता चला। गायिका नेहा कक्कड़ ने उन्हें 5 लाख की आर्थिक मदद भी की। इसी के साथ संतोष आनंद भी एक बार फिर से सबकी यादों में ताजा हो गए।

संतोष आनंद को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 1974 में आई फिल्म रोटी कपड़ा और मकान का गीत ‘मैं ना भूलूंगा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। 1983 में आई फिल्म प्रेम रोग के गीत ‘मुहब्बत है क्या चीज’ के लिए भी फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। वहीं 2016 में उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा गया।
उन्होंने बड़े प्यारे प्यारे नगमें बनाए हैं जो ये हैं-

मुहब्बत है क्या चीज
इक प्यार का नगमा है
जिंदगी की ना टूटे लड़ी
मारा ठुमका बदल गई चाल मितवा
मेधा रे मेधा रे मत जा तू परदेश
मैं न भूलूंगा,इन रस्मों इन कसमों को
ओ रब्बा कोई तो बताए
आप चाहें तो हमको
जिनका घर हो अयोध्या जैसा
दिल दीवाने का ढोला
चना जोर गरम
ये शान तिरंगा
पीले पीले ओ मोरी
मैंने तुमसे प्यार किया

संतोष आनंद फिल्म इंडस्ट्री के प्रसिद्ध गीतकार रहे हैं। भावुक कर देने वाले गीत लिखने वाले संतोष आनंद जी को पूरा भारतीय सिनेमा और उनके फैंस कभी नहीं भूल सकते। उनके अनमोल योगदान को बॉलीवुड को भी कभी नहीं भूलना चाहिए।
उनकी रचनाएं इस प्रकार हैं-

पूरब और पश्चिम (1971)
शोर (1972)
रोटी कपड़ा और मकान (1974)
पत्थर से टक्कर (1980)
क़्रांति (1981)
प्यासा सवान (1981)
प्रेम रोग (1982)
गोपीचंद सावन (1982)
जख्मी शेर (1984)
मेरा जवाब (1985)
पत्थर दिल (1985)
लव 86 (1986)
मजलूम (1986)
बड़े घर की बेटी (1989)
नाग नागिन (1989)
सूर्या (1989)
दो मतवाले (1991)
नागमणि (1991)
रणभूमि (1991)
जूनुन (1992)
संगीत (1992)
तिरंगा (1993)
संगम हो के रहेगा (1994)
प्रेम अगन (1998)

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