ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में बंदूक रखना, साथ लेकर चलना शान माना जाता है। अगर आपके पास बंदूक है तो समाज में आपको अलग ही सम्मान मिलेगा। यही कारण था कि लोग अपना खेत बेचकर बंदूक खरीदना पसंद करते थे। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में 60 हजार से अधिक शस्त्र लायसेंसधारी है। शस्त्र लायसेंस बनवाने में महिलाएं भी पुरुषों ये पीछे नहीं है। एक सैकडा से अधिक महिलाएं ऐसी है जिनके पास लायसेंसी हथियार है।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में शस्त्र लाइसेंस की चाह रखने वाले लोगों से कबंल दान कराने की योजना सफल होने के बाद अब कलेक्टर एक और योजना को लागू करने जा रहे हैं। इसके तहत बंदूक लाइसेंस की चाह रखने वाले लोगों को तीन दिन तक गोशाला में सेवा कार्य कर पुण्य कमाना होगा। हालांकि यह आदेश ऐच्छिक है। साथ ही मार्क गोशाला के क्षेत्रफल में अब 8 बीघा जमीन और जोड़ी जाएगी। इससे यहां करीब एक हजार गोवंश और रह सकेगा। गोशाला में सेवा कार्य हो रहा है या नहीं इस पर नजर रखने के लिए यह योजना बनाई जा रही है। कलेक्टर अनुराग चौधरी ने विगत दिनों बंदूक का लाइसेंस लेने की चाह रखने वाले लोगों पर प्रति आवेदन 10 कंबल गोशाला में दान करने की योजना प्रारंभ की थी। इससे कुछ ही दिनों में एक हजार कबंल दान में आ गए थे।

कलेक्टर ने इन कंबलों को गोशालाओं में गायों के लिए दान किया। इस दौरान मौके पर मौजूद लालटिपारा गोशाला की व्यवस्थाएं देख रहे संत ऋषभानंद महाराज ने कहा कि गोशाला में गायों को कबंल पहना दिए जाते हैं। लेकिन जब यह गीले हो जाते हैं तो इन्हें बदलने के लिए कर्मचारियों की कमी है, इसलिए छह और कर्मचारियों की व्यवस्था मॉर्क गोशाला में की जाए। इस पर कलेक्टर ने कहा कि शस्त्र लाइसेंस की चाह रखने वालों को कंबल दान कराने के साथ क्यों न पुण्य कमाने का अवसर भी दिया जाए। नवाचार के तहत जो शस्त्र लाइसेंस की मांग करेगा उसे पहले तीन दिन गोशाला में सेवा कार्य करना होगा। इससे उन लोगों को भी पुण्य मिलेगा और कर्मचारियों की समस्या का समाधान हो जाएगा। शस्त्र लाइसेंस की चाह रखने वाले लोग गोशाला में सेवा कार्य कर रहे हैं अथवा नहीं, इस पर नजर रखने के लिए योजना तैयार की जा रही है।

ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी ने बताया कि शस्त्र लायसेंस को लेकर ग्वालियर चंबल संभाग में ज्यादा क्रेज है। यहां पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सरोकार के तहत पौधे लगाने और कंबल लाने के लिए कहा गया है। लायसेंस के आवेदक का सामाजिक-आर्थिक बैकग्राउंड भी आवेदन से स्पष्ट हो जाता है और विशेष परिस्थति वाले आवेदकों के लिए यह बिंदु नहीं रखा गया है। गौसेवा की दृष्टि से गौशालाओं में सेवाभाव के दृष्टिगत भी आवेदकों को दो से तीन दिन सेवा कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

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