भिण्ड। मध्यप्रदेश का भिण्ड जिला जहां के लोग शादी-ब्याह की रस्मों को देखने के लिये तरस जाते है। जिले में दो दर्जन से अधिक गांव ऐसे है जहां दो-चार साल में एकाध बारात आती है। शादी-ब्याह की रस्में नहीं देखने बाले लोग रिवाज भी नहीं जानते है। जब इन गांवों में बारात आती है तो पूरा गांव बडे ही उत्साह के साथ उसमें हिस्सा लेते है।
भिण्ड जिले के गोहद विकास खण्ड के इटायदा, गुमारा, पिपाहाडा, डांग छेंकुरी, गुमारो, रनूपुरा, कनाथर, कैरोरा, कैमोखरी खरौआ गांव ऐसे है जहां लडकियों की संख्या बहुत ही कम है। इन गांवों में दो-चार साल में बारात आती है। खरौआ गांव के सरपंच रामअखितयार सिंह गुर्जर ने बताया कि खरौआ गांव में चार साल बाद पिछले साल दो बारातें आई थी इस वर्ष एक भी बारात गांव में नहीं आई है। इस गांव में लडके भी काफी कुंआरे है। दो दर्जन के करीबन लडके तो शादी के इंतजार में उम्र ही पूरी कर चुके है। अभी तक उन्हें दुल्हन नसीब नहीं हो पाई है।
रामअखितयार सिंह गुर्जर ने बताया कि मेहगांव विकास खण्ड के ग्राम सुकाण्ड, परोसा टीकरी, बरासों टीकरी, धोरका, ददरौआ, कतरौल, सीताराम की लावन, श्यामपुरा, गौरा बरासों की भी दयनीय स्थिति है। इन गांवों में बारात कभी कभार आती और जाती है। गांव के सम्पन्न लोग तो अपने लडके की शादी करने के लिये उल्टे लडकी बालों को दहेज देते है। जिनके यहां कोई शादी करने के लिये तैयार नहीं होता वो अन्य समाज में जाकर बहुओं को खरीदकर लाते है। रामअखितयार सिंह गुर्जर ने बताया कि अगर लडकियां इसी तरह मारी जाती रही तो लोगों का वंश चलना बंद हो जायेगा। इसके लिये सभी को जागरुक होने की जरुरत है।
जनपद पंचायत मेहगांव की अध्यक्ष श्रीमती रामराजा गुर्जर ने बताया कि समाज में वर्षों पुरानी कुरीतियां फैली हुई थी इसलिये लडकियों को मार देने की कुप्रथा थी अब उस पर रोक लगाई जा रही है। उन्होंने बताया कि भिण्ड जिला शिक्षा के क्षेत्र में पिछडा होने के कारण महिलाओं में बगावत करने की हिम्मत नहीं होती थी आज क्षेत्र में शिक्षा का विस्तार हुआ है लडकियां भी शिक्षा लेने में लडकों से आगे जा रही है। अब भिण्ड जिले के जिन गांवों में लडकियां कम है बहां शासन, प्रशासन और वह स्वयं भी ध्यान देकर लोगों को जागरुक करने की कोशिश कर रही है। श्रीमती रामराजा गुर्जर ने कहा कि बह लडकी बचाओ अभियान के दौरान गांव-गांव में जागरुकता शिविर लगायेगी। अब लडकियों को मारने नहीं दिया जायेगा।