ग्वालियर। भिण्ड विकास खण्ड के ऊमरी वृत की ग्राम पंचायत अतरसूमा में एक नेत्रहीन पिता को न केवल अपने विक्षिप्त बेटे की भूख मिटाने के लिए दर-दर की ठोंकरे खानी पड रही हैं, बल्कि उसके इलाज के लिए भी भटकना पड रहा है। इसके बाद भी इस गरीब नेत्रहीन पिता और मंद बुद्धि पुत्र की तंगहाली पर प्रशासन का ध्यान नहीं है।
भिण्ड जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित ऊमरी राजस्व वृत की ग्राम पंचायत अतरसूमा के मजरा पुरा डूमना में 80 वर्षीय नेत्रहीन रामप्रसाद बरेठा और उसका 30 वर्षीय मंद बुद्धि पुत्र सुदामा भुखमरी से जूझ रहे है। उनके पास न तो घर है और ना आजीविका का कोई साधन। ग्रामीणजन ही उन्हें निजी स्तर पर दो वक्त का खाना और पहनने ओंढने के लिए कपडे उपलब्ध करा रहे हैं। सर्दी के इस मौसम में रामप्रसाद के पास खुद को और अपने बीमार पुत्र को ठण्ड से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है।
रामप्रसाद व उसके पुत्र सुदामा को आसपास के रहवासियों के द्वारा अपने घर से खाना उपलब्ध कराया जाता है। कभी-कभी रामप्रसाद को दो-दो दिन तक भूखा ही रहना पडता है। ग्रामीणों की शिकायत पर भिण्ड के तत्कालीन कलेक्टर अखिलेश श्रीवास्तव ने वर्ष 2014 में रामप्रसाद व उसके पुत्र को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था गांव के ही शासकीय स्कूल में मध्यान्ह भोजन मुहैया कराने वाले स्वसहायता समूह को करने के निर्देश दिए थे पर समूह ने एक दिन भी उसे भोजन उपलब्ध नहीं कराया। वर्तमान में रामप्रसाद की देखभाल उसके दूर के रिश्तेदारों की एक विधवा बहू द्वारा की जाती है।
कच्चे घर में सिर छिपाने के लिए छत भी नहीं है। गांव के एक समाजसेवी प्रेमसिंह रामप्रसाद के परिवार की पिछले कई सालों से भोजन व वस्त्र निःशुल्क व निःस्वार्थ रुप से उपलब्ध करा रहे हैं। उनका कहना है कि ग्राम पंचायत चाहे तो रामप्रसाद को इंदिरा आवास या मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए आर्थिक मदद दे सकती है, पर कई बार अनुरोध करने के बाद भी उसे इस योजना का कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। रामप्रसाद व उसके पुत्र को सामाजिक न्याय विभाग की कोई पेंशन भी नहीं मिलती, जबकि पुरा डूमना में आधा सैकडा से ज्यादा ऐसे लोगों को ग्राम पंचायत ने इंदिरा आवास व सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्वीकृत कर दी है, जिनके पास खुद के पक्के मकान ट्रेक्टर, खेती आदि उपलब्ध है।
रामप्रसाद बरेठा गांव के एक छोर पर कच्चे मकान की खण्डहर दीवारों में घास फूस के टपरे में अपने पुत्र सुदामा के साथ रहता है, जो बचपन से ही मंदबुद्धि है और काम करने में भी सक्षम नहीं है। समाजसेवी प्रेमसिंह कुशवाह ने बताया कि रामप्रसाद व उसके पुत्र का नाम बीपीएल सूची में शामिल कराने के लिए पिछले 10 साल तक ग्राम पंचायत से संघर्ष करना पडा। तब कहीं जाकर उसका बीपीएल कार्ड बन पाया। ग्राम पंचायत ने उसे वृद्धावस्था पेंशन व उसके पुत्र को विकलांग पेंशन अब तक स्वीकृत नहीं की है।
ग्राम पंचायत अतरसूमा के सचिव भानुसिंह राजावत ने बताया कि रामप्रसाद बरेठा का बीपीएल कार्ड बनाया जा चुका है। उसे बृद्धावस्था पेंशन व उसके मंद बुद्धि पुत्र को विकलांग पेंशन स्वीकृति की प्रक्रिया में है। उससे बैंक खाते की जानकारी मांगी गई है।