हरदा ! मध्य प्रदेश में गरीबी इस हद तक पहुंच गई है कि मां-बाप अपने बच्चों को गिरवी रखने लगे हैं, इस बात का खुलासा गड़रिया के चंगुल से छूटे दो बच्चों ने किया है। उनका कहना है कि उनके परिजनों ने खेती के लिए पंप (मोटर) खरीदने की खातिर उन्हें गड़रिया के पास गिरवी रखा था। दानों बच्चे इस समय ‘चाइल्ड लाइन’ के पास हैं, पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जानकारी मिली है कि खरगोन जिले के मोहनपुरा निवासी लालू के पास साढ़े तीन एकड़ जमीन है, मगर सिंचाई के लिए उसके पास पंप नहीं था, लिहाजा उसने पंप के पैसे जुटाने के लिए अपने बेटे को हेमला गड़रिया के पास एक साल के लिए गिरवी रखा। ये दोनों बच्चे गड़रिया की प्रताड़ना से तंग आकर भाग आए।
दोनों बच्चे गुरुवार को हरदा पहुंचे। यहां पुलिस ने इन बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें चाइल्ड लाइन भेज दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक प्रेमबाबू शर्मा ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया कि पूरे मामले की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई है। बच्चे गुरुवार को कई किलोमीटर चलकर हरदा पहुचे थे, फिलहाल वे चाइल्ड लाइन में हैं।
दोनों बच्चों के पिता लालू का कहना है कि उसके पास सिंचाई का साधन नहीं था, लिहाजा उसके पास बच्चों को काम पर लगाने के अलावा कोई चारा नहीं था। उसने गड़रिया को अपने बच्चे एक साल तक भेड़ चराने के लिए दिया था।
एक बच्चे ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसके पिता ने उसे गड़रिया के सुपुर्द किया था, गड़रिया उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करता था और खाने को भी नहीं देता था। दोनों बच्चों के शरीर पर चोट के निशान भी पाए गए हैं।
एक बच्चे ने बताया कि उसे 20 हजार रुपये में गिरवी रखा गया था, वहीं दूसरे बच्चे को कितने में गिरवी रखा गया था, इस बात का खुलासा नहीं हो पाया।
पुलिस अधीक्षक शर्मा का कहना है कि बच्चे गड़रिया द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात कह रहे हैं, साथ ही गिरवी रखने की बात भी सामने आई है। बच्चों के बयान दर्ज होने पर ही सच सामने आ पाएगा।

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