ग्वालियर। शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार के हाल में हुए सर्वें में मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले को देश का सर्वाधिक गंदे शहरों की सूची में नाम आने के बाद से शहरवासियों का गुस्सा चरम पर है। औसमन एक साल में शहर को साफ सुथरा बनाए रखने और स्वच्छता के लिए नगर पालिका तकरीबन छह करोड रुपए से अधिक खर्च करती है। और गुजरे तीन सालों में वह इस पर कुल 18.91 करोड रुपए फूंक चुकी है। इसके बावजूद शहर को गंदे शहरों की सूची में शामिल करना किसी को हजम नहीं हो रहा है।
नगरपालिका में चार सफाई दरोगा, अशोक बाल्मीक, पुरुषोतम बाल्मीक, राकेश और आनंद बाल्मीक क्रमशः 32 साल, 30 साल तथा 19 सालों से एक ही जगह जमे हुए हैं, जिन्हें मस्टर सफाई कर्मियों को रखने व पृथक करने के अधिकार है। जानकारों को मानना है कि सफाई अमले में बडी संख्या में सफाई दरोगाओं व मेठों के रिश्तेदार व परिजनों से संबंधित लोग सफाई कामगार के रुप में वेतन ले रहे है, पर वे हकीकत में सफाई कार्य में कोई योगदान नहीं करते। इससे नगर गंदगी से उबर नहीं पा रहा है। एक वर्ष पहले तत्कालीन भिण्ड एसडीएम नरोतम भार्गव ने नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन कराया था, जिसमें लगभग 200 सफाई कामगार संदिग्ध पाए गए थे। शहरवासियों का मानना है कि नगर को गंदा बनाए रखने के लिए नगर पालिका सबसे बडी जिम्मेदार है। अब वक्त आ गया है कि नगर पालिका को सफाई व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाए और फर्जी तथा सफाई कर्मियों के खिलाफ कडी कार्यवाही करे।
शहर को साफ सुथरा बनाए रखने का जिम्मा नगर पालिका के एक स्वास्थ्य अधिकारी, 4 सफाई दरोगाओं, 10 स्थाई, अस्थायी मेठों, 374 दैनिक वेतन वाले सफाई कामगारों तथा 130 स्थाई संरक्षकों पर है।
सडकों, नालियों की सफाई, सफाई अमले के वेतनभतों, सार्वजनिक संडासों के निर्माण व रखरखाव आदि पर नगर पालिका ने गुजरे तीन सालों में से वर्ष 2012-13 में 5.115 करोड रुपए, वर्ष 2013-14 में 5.662 करोड रुपए तथा वर्ष 2014-15 में 7.731 करोड रुपए इस तरह कुल लगभग 18.91 करोड रुपए खर्च किए गए है। खर्च के इस आंकडे में हर वर्ष 50 लाख से एक करोड रुपए तक का इजाफा हो रहा है। शहर की सडकों पर नगर पालिका के 506 वैतनिक सफाई कर्मियों का अमला कहीं नजर नहीं आता। प्रतिदिन लगभग 10 टन से ज्यादा उत्सर्जित शहरी कचरे के निपटाने का नगर पालिका ने कोई इंतजाम नहीं किया है। यहां तक कि शहर में आबादी से बाहर कहीं भी कचरे की डंप का स्थान निश्चित नहीं है, नतीजतन बस्तियों की खुली जगहों पर कचरे का जमाव होता रहता है, जो नागरिक स्वास्थ्य व र्प्यावरण प्रदूषण का कारण बन रहा है। शहर की पंेयजल, सीवेज तथा डेªनेज की लाइनें बरसों पुरानी और जर्जर हैं जो जगह-जगह लीकेज हो गई हैं, जिससे पेयजल भी दूषित हो गया है और जल जनित बीमारियां शहर के लोगों को अकाल मौत का शिकार बना रही है।
नगर पालिका परिषद भिण्ड की अध्यक्षा श्रीमती कलावती महौलिया ने बताया कि हमने केन्द्र सरकार के सर्वे को चुनौती के रुप में लिया है। गंदगी के मिले इस कलंक को पूरी तरह मिटाने की हर कोशिश करुॅंगी। सफाई काम में लगे कामगारों से सख्ती के साथ काम लिया जाएगा और जो काम में लापरवाही बरतेगा उसके खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित कर कठोर कार्यवाही की जाएगी।