खंडवा। आरटीआई कार्यकर्ता जगन्नाथ माने की जहर पीने से मौत हो गई। सात महीने जेल में रहने के बाद कुछ दिन पहले ही उन्हें जमानत मिली थी। शहर के प्रतिष्ठि लोगों ने माने के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का केस दर्ज करवाए थे। आत्महत्या करने वाले जगन्नाथ माने ने अपने पांच पेज के सुसाइड नोट में पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस, तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सहित शहर के कई रसूखदार लोगों के नाम लिखकर अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है।
लगभग सात माह पहले जगन्नाथ माने पर बीज विक्रेता उमेश मिश्रा ने ब्लैक मेलिंग का केस दर्ज कराया था। इसके बाद माने के खिलाफ कालोनाइजर बलराम गोलानी, स्कूल संचालक पवन अग्रवाल, पेट्रोल पम्प व्यवसायी प्रकाश नरेड़ी, व्यापारी रणधीर जांगिड़, रमनीत सलूजा ने भी केस दर्ज कराया था। सुसाइड नोट में सट्टा किंग रितेश गोयल और तत्कालीन सीएसपी शेषनारायण तिवारी का नाम भी प्रताड़ना देने वालों में लिखा गया है।
माने को लगभग सात माह जेल में रहने के बाद हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। माने पर आरटीआई के तहत जानकारी निकालने के बाद बजाज कंपनी के लिए बीमा करने के लिए दबाव बनाने का आरोप था। जेल से बाहर आने के बाद रविवार को बजाज कंपनी की ही एक कर्मचारी कविता यादव ने भी उस पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए जहर पी लिया। उसे गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है। इसके बाद सोमवार सुबह को माने ने भी जहर खा लिया। उसे गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल ले जाया गया। यहां कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई। इस घटनाक्रम के बाद उसका पांच पेज का सुसाइड नोट पुलिस ने जब्त किया है।
इसमें बजाज कंपनी के मैनेजर अजयसिंह सिसौदिया सहित अन्य कई रसूखदारों के नाम लिखकर उसने प्रताड़ना का आरोप लगाया है। पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस द्वारा प्रशासन पर दबाव बनाकर कार्रवाई करने क उल्लेख सुसाइड नोट में किया है।

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