ब्रिटेन के मशहूर भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया है. वे 76 साल के थे. उनका जन्म 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था. वे पिछले 55 साल से व्हीलचेयर पर थे, क्योंकि 1963 में मोटर न्यूरॉन बीमारी से ग्रसित पाए गए थे. तब 22 साल की उम्र में डॉक्टर ने कहा था कि वे 2 साल ही और जी सकते हैं. हालांकि, वे अगले 55 साल तक मौत को मात देते रहे. आइए जानते हैं उनके बारे में और खास बातें…
उनकी बीमारी इतनी घातक थी कि वे बोल भी नहीं पा रहे थे. बाद में उन्होंने वॉयस सिंथेसाइजर की मदद से बात करना शुरू किया. बीमारी के पकड़ में आने के ठीक 11 साल बाद उन्होंने ब्लैक होल्स को लेकर थ्योरी दिया जिसने काफी लोगों का ध्यान खींचा.

उन्हें नाव चलाने और घुड़सवारी करने का शौक था, लेकिन मोटर न्यूरॉन बीमारी की वजह से वे कुछ भी कर पाने में असमर्थ हो गए. उनके शरीर का ज्यादातर हिस्सा लकवा की चपेट में आ गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, मोटर न्यूरॉन बीमारी की वजह से दिमाग और तंत्रिका पर असर पड़ता है. शरीर में कमजोरी होती है और बढ़ती चली जाती है.
मोटर न्यूरॉन जानलेवा होती है और मरीज कुछ ही साल जी पाता है. लेकिन कुछ लोग इसके अपवाद होते हैं. इस बीमारी का कोई इलाज मौजूद नहीं है.
अपनी सफलता का राज बताते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी बीमारी ने उन्हें वैज्ञानिक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की है.

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