दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक कोरोना के सक्रिय मामलों में तेजी से कमी आ रही है। दिल्ली में पहले रोज 32 से 34 हजार नए संक्रमित मिल रहे थे, जो अब घटकर 6456 तक आ गए हैं। संक्रमण दर 34 फीसदी के भयावह स्तर तक जाने के बाद गिरकर अब 10.40 प्रतिशत तक आ गई है। इन आंकड़ों ने कुछ राहत दी, लेकिन महामारी से रोज होने वाली मौतें सरकार के लिए अब भी चिंता का विषय बनी हुई हैं।

दिल्ली में रोजाना मौत का आंकड़ा 448 तक पहुंचने के बाद 300 के आसपास आ गया है। रविवार को बीते 24 घंटे में 262 कोरोना मौतें दर्ज की गई हैं। ऐसे में कोरोना मौतों को रोकना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक कोरोना की स्थिति नियंत्रण में आती दिख रही है। अब यह रोज नए मरीजों का आंकड़ा 10 हजार से भी नीचे आ गया है। अगर एक हफ्ते तक इसी प्रकार का ट्रेंड चलता रहा तो हम अधिकार के साथ कह सकेंगे कि दिल्ली ने कोरोना की दूसरी लहर को काबू में कर लिया है।

इसलिए हो रही ज्यादा मौतें
कोरोना मौतें अभी भी सरकार के लिए चिंता की सबसे बड़ी वजह बनी हुई हैं। ज्यादा मौतों की वजह क्या है, इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने बताया कि इस लहर में कोरोना के गंभीर रोगियों की संख्या ज्यादा आ रही है। इस कारण भी ज्यादा लोगों की मौत हो रही है।

अधिकारी के मुताबिक पहले अस्पताल में सुविधाओं की कमी और बाद में ऑक्सीजन की कमी ने लोगों को बहुत तकलीफ दी। इस कारण राजधानी में मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हालांकि, सरकार अब रणनीति बदलकर इन मौतों पर पूरी तरह लगाम लगाने की कोशिश कर रही है।

घर पर इलाज भी बढ़ा रहा खतरा
बीएल कपूर अस्पताल के कोरोना मामलों के नोडल डॉक्टर संदीप नायर ने कहा कि इस बार अस्पतालों में बेड्स की कमी लोगों को अपने घरों पर रहकर इलाज कराने के लिए मजबूर कर रही थी (हालांकि, अब ऐसी स्थिति नहीं है)। घर पर उचित देखभाल न होने के कारण मरीज की स्थिति बिगड़ रही थी। जब मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर होने लगती थी तब परिवार के लोग उन्हें अस्पतालों में लेकर आते हैं। इसका दुष्परिणाम होता है कि मरीजों को बचने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। कोरोना से ज्यादा मौतें होने के पीछे यह एक बड़ा कारण हो सकता है।

अब इस तरह मौतों को रोकेगी सरकार
कोरोना मौतों को रोकना अब सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसके लिए इंटीग्रेटेड डाटा मॉडल खड़ा कर लिया गया है। इससे प्रतिदिन के स्तर पर यह निगाह रखी जा सकेगी कि किस अस्पताल में कितने बेड्स हैं, कितने गंभीर मरीज हैं और कितने बेड्स खाली हैं। अब प्राइवेट अस्पताल किसी मरीज को बेड देने से इनकार नहीं कर सकेंगे।

र में रह रहे मरीज पर भी रहेगी नजर
ऑक्सीजन की कमी कोरोना मौतों में सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है। लेकिन सरकार अब इस समस्या से पूरी तरह उबर गई लगती है। सभी जिलों में 200-200 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर रखकर हर मरीज तक ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। अगर मरीज का घर पर भी इलाज चल रहा है तो भी वह सीधे तौर पर डॉक्टरों की निगरानी में होगा। ये डॉक्टर मरीज की जरा-सी भी स्थिति गंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती करने के लिए अधिकृत होंगे। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना को अमलीजामा पहनाकर कोरोना मौतों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

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