भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में विकास की राह बंद नहीं होगी। कोरोना काल में बनीं सड़कों ने ग्रामीण इलाकों में यातायात सुगम किया है। आगे भी जो गांव छूट गए हैं उन गांवों में सड़क सुविधा दुरुस्त कराने का काम किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने आज प्रदेश में 13 हजार ग्रामीण सड़कों का वर्चुअल लोकार्पण किया।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 4120 किलो मीटर लंबी 12960 ग्रामीण सड़कों का निर्माण कराया है। ये सड़कें ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 1359 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित हुई हैं। कोरोना आपदा काल में ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ विकास प्रक्रिया सतत जारी रखते हुए इन सड़कों का निर्माण कराया गया है। कार्यक्रम में सीएम चौहान ने लोकार्पण के बाद कुछ जिलों के सरपंचों से संवाद भी किया।
इस कार्यक्रम में पंचायत राज्य मंत्री रामखिलावन पटेल, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा, मनरेगा कमिश्नर सूफिया फारुकी वली, आयुक्त जनसंपर्क सुदाम खाड़े मौजूद रहे। कार्यक्रम में बताया गया कि 33 जिलों में यह सड़कें लाकडाउन के दौरान बनाई गई हैं। इस लोकार्पण में उपचुनाव वाले जिलों में बनी सड़कों को शामिल नहीं किया गया है।
पिछले सात माह में मप्र सरकार 11 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है अब फिर एक हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजारसे लेने जा रही है। प्रदेश में संचालित विभिन्न विकास कार्यो और विभिन्न परियोजनाओं के संचालन के लिए वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राज्य सरकार यह कर्ज ले रही है। यह कर्ज केन्द्र सरकार द्वारा राज्य को दी गई सीमा के भीतर लिया जा रहा है। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया मुंबई कार्यालय द्वारा इसके लिए ई कुबेर कोर बैंकिंग सिस्टम के जरिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करने वाली वित्तीय संस्थाओं,एजेंसियों से इसके लिए प्रस्ताव बुलाए गए है। इसमें जो सबसे कम ब्याज दर पर राज्य सरकार को एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज देने के लिए तैयार होगा उससे यह राशि ली जाएगी।
इस कर्ज की वापसी बारह वर्ष की समयसीमा में की जाएगी। यह कर्ज राज्य सरकार 7 अक्टूबर 2032 को वापस करेगी। राज्य सरकार की गारंटी पर यह कर्ज दिया जाएगा। कोरोना महामारी से जहा प्रदेश की कर राजस्व वसूली प्रभावित हुई है वहीं जीएसटी सहित अन्य क्षतिपूर्ति की राशि में कमी आई है। विकास कार्य के लिए मिलने वाला केन्द्रीय अनुदान भी प्रभावित हुआ है। लंबे समय तक लॉकडाउन चलने के कारण सिनेमाघर, शराब की दुकाने, सार्वजनिक परिवहन से जुड़े वाहन बंद रहे है। खदानों के टेंडर भी लंबे समय तक नहीं हो पाए इसके कारण सरकार का राजस्व घटा है। इसलिए वित्तीय संसाधन जुटाने यह कर्ज लिया जा रहा है।