नई दिल्ली। कोरोना काल में लोगों के सामने कई मुश्किलें हैं। महामारी की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिये स्थानीय स्तर पर लगाये गये लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों से लाखों लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। महामारी के दौर में लोग अपनों को खो रहे हैं, महंगाई की मार झेल रहे हैं साथ ही बेरोजगारी भी बड़ी समस्या बन चुकी है। देश में कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं। इसका रोजगार पर बुरा असर पड़ा है। स्थानीय लॉकडाउन के कारण अप्रैल में 75 लाख लोगों की नौकरी चली गई है। देश में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ृ रही है। मई के महीने में तो बेरोजगारी की दर बढ़ कर बीते एक महीने की अपेक्षा दोगुने स्तर पर पहुंच गई है। कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए लॉकडाऊन और नाईट कर्फ्यू लगने से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं और इसकी वजह से फिर रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के मैनेजिंग डायरेक्टर महेश व्यास ने कहा, ‘लॉकडाऊन की वजह से मार्च की तुलना में अप्रैल महीने में करीब 75 लाख नौकरियां चली गयीं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, 16 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान बेरोजगारी दर बढ़ कर 14.34 फीसदी हो गई। पिछले एक साल का यह सबसे अधिकतम स्तर है। बेरोजगारी दर 49 हफ्तों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। पिछले महीने (अप्रैल) की अपेक्षा यह दोगुने स्तर पर है। आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन के बाद करीब अप्रैल में 75 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई। ग्रामीण इलाकों में भी बेरोजगारी दर की रफ्तार तेज हो गई है। ग्रामीण इलाकों में पिछले साल की तुलना में ये दर 100 फीसदी बढ़कर 17.51 फीसदी पर पहुंच गई है। जानकारों के मुताबिक रोजगार के मोर्चे पर स्थिति चुनौतीपूर्ण रहेगी। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.97 प्रतिशत पहुंच गई थी। शहरी क्षेत्रों में 9.78 प्रतिशत। ग्रामीण स्तर पर बेरोजगारी दर 7.13 प्रतिशत थी। मार्च में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.50 प्रतिशत थी। अब ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ रही है।