भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को एक बयान में भाजपा सरकार पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जो लोग खुद को सबसे बड़ा किसान हितैषी बताते हैं, किसानों के कल्याण की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करते आए हैं, वो आज सबसे बड़े किसान विरोधी साबित हुए हैं। यह लोग किसानों की आय दोगुनी करने की बजाय उनकी लागत को दोगुनी करने का काम आज जरूर कर रहे हैं?
कमलनाथ ने कहा कि पहले से ही डीजल की बढ़ती कीमतों, कृषि उपयोग में आनी वाली चीजों की महंगाई से किसान बेहद परेशान हैं। कोरोना के इस संकट काल में तमाम परेशानियों को झेल रहे हैं, भाजपा सरकार की नीतियों के कारण उसकी खेती की लागत में निरंतर वृद्धि होती जा रही है और ऐसे में अब भाजपा सरकार ने कोरोना के संकट काल में भी प्रदेश में डीएपी और अन्य खाद की दरों में भारी वृद्धि कर किसानों की कमर तोड़ने का काम किया है। उनकी लागत को दोगुनी करने का काम किया है। कोरोना के संकट काल में अपनी लापरवाही से लोगों की जान लेने वाली सरकार अब किसानों को भी मारने पर तुल गयी है?
नाथ ने बताया कि किसान अभी रबी की फसलों को निकालने व बेचने में लगा है और खरीफ फसलों के लिए अपने खेतों को तैयार करने में लगा है और सरकार ने बाले-बाले खाद के दाम 58 फीसदी तक बढ़ा दिए। DAP की 50 किलो की बोरी का भाव 1200 रुपये से बढ़ाकर 1900 रुपये और NPK की बोरी का भाव 1185 रुपये से बढ़ाकर 1800 रुपये कर दिया गया है।
खाद के दामों में की गई इस बेतहाशा मूल्य वृद्धि से किसानों पर प्रति हेक्टर करीब 3500 रुपये का डीएपी का अतिरिक्त भार बढ़ जाएगा। केंद्र की सरकार ने कोरोना महामारी के संकट के समय में डीजल के भाव में अब तक 33% की बढ़ोतरी की है और इस कारण से माल ढुलाई की दरें 18 से 20% बढ़ गई है। ढुलाई महंगी होने से कृषि आदान के दाम बढ़े हैं और अभी भी निरंतर बढ़ रहे हैं ।कुल मिलाकर खेती की लागत किसान के बूते के बाहर होती दिख रही हैं।
मोदीजी किसानों के खातों में मात्र दो – दो हजार रुपए की राशि को डालकर झूठी वाहवाही लूटने और किसानों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कि भाजपा सरकार खेती-किसानी की लागत को बेतहाशा बढ़ाकर किसानों को खेती के काम से अलग करना चाहती हैं ? ये किसानों को उनकी जमीनों से बेदखल करना चाहते हैं?
किसानी की लागत बढ़ जाएगी तो किसान खेती नहीं कर पाएगा और बड़ी कंपनियां केंद्र सरकार के बनाए 3 काले कानूनों का लाभ लेकर किसान से उसकी जमीनें ले लेंगी और किसान भाई उसकी ही जमीन पर मजदूर बन जाएगा। यही भाजपा सरकार की सोच है व यही कड़वी सच्चाई है।
किसान पहले से ही कृषि उपयोग में आने वाली चीजों की महंगाई से परेशान है , ऐसे में खाद की मूल्यवृद्धि के इस निर्णय से किसान पर भारी मार पड़ेगी व इसे सहन नहीं कर पायेगा। नाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अपने वादे के मुताबिक सत्ता में आते ही किसानों की कर्ज माफी का काम चालू किया था , 15 महीने की सरकार में हमने 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया था।
शिवराजजी, जो खुद को किसान पुत्र बताते हैं, उन्होंने आते ही हमारी इस किसान कर्ज माफी योजना को बंद कर दिया। कोरोना के इस संकट काल में किसान कर्ज के दलदल में निरंतर फंसता जा रहा है और इस संकट काल में उसे राहत प्रदान करने के लिये उसकी कर्ज माफी की बजाय शिवराज सरकार उनकी कर्ज अदायगी की तारीखों को ही सिर्फ आगे बढ़ा रही है ? जबकि अभी सबसे बड़ी किसानों को आवश्यकता उनकी पूर्ण कर्ज माफी की है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार में देश में सर्वाधिक किसान कर्ज के दलदल में फंस कर आत्महत्या करते थे और सरकार का खादो के दामों में वृद्धि का वर्तमान निर्णय किसानों की कमर तोड़ेगा और उन्हें आत्महत्या के लिए फिर मजबूर करेगा।
कांग्रेस शिवराज सरकार से मांग करती है कि तत्काल इस मूल्यवृद्धि को वापस लिया जावे , किसानों को राहत देने के सभी आवश्यक कदम उठाए जावे , उनकी कर्ज अदायगी की तारीख को आगे बढ़ाने की बजाय , उनकी पूर्ण कर्ज माफी हो।
कांग्रेस खाद की क़ीमतों में की गयी इस मूल्य वृद्धि पर चुप नहीं बैठेगी और कोरोना संकट समाप्त होने के बाद किसानों के साथ सड़कों पर उतरकर इसके विरोध में पुरज़ोर आंदोलन करेगी तथा शिवराज सरकार को इस मूल्य वृद्धि को वापस लेने के लिए मजबूर करेगी।