लोकसभा चुनावों में बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की भारी जीत जहां कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है और वो इस बार भी बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है. उसके बाद ये भी कहना चाहिए कि अभी कांग्रेस को दो और बड़े झटके भी लग सकते हैं, अगर वो सतर्क नहीं हुई तो दो और राज्य उसके हाथ से निकल सकते हैं.

जैसे ही एग्जिट पोल के अनुमान आए थे, वैसे ही मध्यप्रदेश में नेता विपक्ष गोपाल भार्गव ने तुरंत एक पत्र राज्यपाल आनंदीबेन के पास भेजकर ये कहा था कि तुरंत एक विशेष संत्र बुलाकर मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाए. कांग्रेस अब वहां अल्पमत में आ चुकी है. इसी तरह ये खबरें भी फिर से उभरने लगी हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की गठजोड़ सरकार के सामने संकट पैदा हो सकता है.कर्नाटक में लंबे समय से कांग्रेस और जेडीएस के गठजोड़ वाली सरकार के मुश्किल में होने की बात खबरों में आती रही है. कई बार वहां ये खबरें आई हैं कि कांग्रेस के खेमे के कुछ विधायक वि्द्रोह कर सकते हैं. राज्य में बीजेपी नेता बीएस येदुयरप्पा के बारे में कहा जाता रहा है कि वो कई विद्रोही विधायकों के संपर्क में हैं. दो बार पाला बदलने के प्रयास हो चुके हैं लेकिन बात बनी नहीं. अब केंद्र में फिर मोदी सरकार की प्रचंड तरीके से वापसी से बाद फिर कर्नाटक में तोड़फोड़ की कोशिश से इनकार नहीं किया जा सकता. अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा. हालांकि जिस तरह कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार पिछले एक साल से चल रही है, उससे जेडीएस और कांग्रेस दोनो पाले में असंतोष है.

19 मई को जब एग्जिट पोल आए थे तब बहुत से विपक्षी दलों ने इसे हवा में उड़ाने की कोशिश की थी लेकिन अब जबकि लोकसभा के परिणाम भी उसी तरह आए हैं, तब मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बारे में माना जा रहा है कि इन राज्यों में कांग्रेस के लिए फिर संकट की स्थिति पैदा हो सकती है.

दरअसल तीन दिन पहले जब भोपाल में बीजेपी नेता भार्गव ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने की बात की थी, तब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि उनकी सरकार को कोई संकट नहीं है. विपक्ष को उसकी कोशिश के बाद भी कुछ हासिल होने वाला नहीं है. लेकिन अब लगता है कि मध्य प्रदेश में ईकमलनाथ सरकार के सामने तब दिक्कत पैदा हो सकती है अगर राज्यपाल ने सत्ता पक्ष को बहुमत साबित करने के लिए कहे.

गौरतलब है कि कि मध्य प्रदेश में जब दिसंबर में चुनाव हुए थे तब कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं. उस समय बीएसपी के दो और एक समाजवादी पार्टी के विधायक के साथ चार निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के साथ आकर उन्हें सरकार बनाने लायक पर्याप्त नंबर मुहैया करा दिये थे. लेकिन रह रहकर ये खबरें भी आती रही हैं कि मध्य प्रदेश में निर्दलीय या बसपा विधायक पाला बदल सकते हैं. केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार बनने के बाद वाकई अगर किसी विधायक ने पाला बदला तो कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ जाएगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *