भोपाल। विधानसभा सत्र के एक दिन पहले कांग्रेस ने 120 विधायकों को इकट्ठा कर तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित कर दिया।

रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद आयोजित रात्रिभोज में पार्टी के 113, निर्दलीय चार, बसपा के दो और सपा के एक विधायक ने शामिल होकर कमलनाथ सरकार की स्थिरता पर मुहर लगा दी।

वहीं, कांग्रेस ने अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी कर पूरे सत्र में उपस्थित रहने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। उधर, सूत्रों का कहना है कि स्पीकर निर्विरोध नहीं चुने जाने पर कांग्रेस उपाध्यक्ष का चुनाव भी लड़ेगी, जिसके लिए विधायक दल की बैठक में नागदा-खाचरोद के विधायक दिलीप गुर्जर के नाम की चर्चा हुई।

कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर शाम सवा छह बजे शुरू हुई, जिसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया एक ही कार में पहुंचे। नाराज चल रहे विधायक बिसाहूलाल सिंह को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी लेकर पहुंचे। दिग्विजय सिंह भी बैठक में शामिल हुए।

मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज केपी सिंह बैठक में नहीं पहुंचे। उनकी उपस्थिति को लेकर बताया गया कि वे बीमार होने से भोपाल नहीं आ सके। बैठक में सबसे आखिर में सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह पहुंचे, क्योंकि उनके पिता सुखलाल कुशवाह की जयंती का कार्यक्रम था, जिसमें हिस्सा लेकर वे सीधे भोपाल पहुंचे। विधायक दल की बैठक के बीच में भी कुछ और विधायक पहुंचे।

बैठक करीब साढ़े आठ बजे तक चली। सूत्रों के मुताबिक इसमें बताया गया कि सदन में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव, राज्यपाल के अभिभाषण के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव और अनुपूरक बजट पारित कराते समय सरकार की अग्निपरीक्षा होना है। उस समय पार्टी के विधायकों को सौ फीसदी उपस्थिति के निर्देश दिए गए। इसके लिए पार्टी ने विधायकों को व्हिप जारी कर सूचित किया है। यह व्हिप पूरे सत्र के लिए जारी की गई है।

विधायक दल की बैठक के दौरान निर्दलीय विधायक विक्रम सिंह राणा पूरे समय बैठक के बाहर बैठे रहे। जबकि मंत्री बने निर्दलीय प्रदीप जायसवाल पूरे समय व निर्दलीय केदार डाबर व सुरेन्द्र सिंह शेरा कुछ समय बैठक में रहे। रात्रि भोज के बाद कांग्रेस विधायकों के साथ बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों की अनौपचारिक बैठक भी हुई, जिसमें सदन में कांग्रेस सरकार को भाजपा द्वारा अस्थिर करने के प्रयासों पर विचार मंथन किया गया।

बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ, सिंधिया और एआईसीसी महासचिव व प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने विधायकों से चर्चा की। नए विधायकों को सदन के भीतर क्या करें और क्या नहीं करें, इसके नियम बताए। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने विधायकों से कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव नतीजों में हार-जीत से आकलन होगा। इसलिए वे विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं।

सूत्रों ने बताया है कि विधायकों ने लोकसभा चुनाव नजदीक होने के कारण आचार संहिता लागू होने के पहले वचन पत्र के ज्यादा से ज्यादा वचन लागू करने पर जोर दिया। नाथ ने विधायकों से कहा कि वे अभी ट्रांसफर-पोस्टिंग पर ध्यान न दें। काम के लिए फरवरी तक का समय बचा है, इसलिए वचन पत्र के वचनों को जल्द से जल्द पूरा करवाएं। बताया जाता है कि विधायक दल की बैठक में कुछ कांग्रेस विधायकों ने अपने यहां चुनाव के दौरान सरकारी अधिकारियों द्वारा भाजपा के लिए किए गए काम की शिकायतें कीं तो कुछ लोगों ने पार्टी के भितरघातियों के बारे में बताया।

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