नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर 10 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत की ताकत देखेगें।भारत में पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह में एक साथ 10 देशों के प्रतिनिधि मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किए गए हैं। अब तक गणतंत्र दिवस पर किसी एक देश के प्रतिनिधि को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। पहली गणतंत्र दिवस पर 10 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत की ताकत देखेगें।

यह अतिथि Republic Day समारोह में रहेंगे

ली सियन लूंग, सिंगापुर

प्रधानमंत्री ली सियन लूंग सिंगापुर के दूसरे प्रधानमंत्री हैं जो गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। प्रधानमंत्री ली से पहले साल 1954 में पूर्व प्रधानमंत्री गोह चोक टोंग भी समारोह में आ चुके हैं। ली भारत के साथ मजबूत गठबंधन के पक्षधर रहे हैं। सिंगापुर दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की बड़ी भूमिका का समर्थन करता है।

प्रायुत चान-ओचा, थाईलैंड

प्रधानमंत्री जनरल प्रायुत चान-ओ-चा गणतंत्र दिवस परेड पर भारत के मुख्य अतिथि बनने वाले थाईलैंड के दूसरे प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री ¨यगलक शिनवात्र अतिथि रह चुके हैं। प्रायुत भारत से मजबूत गठबंधन बनाने के पक्षधर हैं। हालांकि चीन के साथ भी उनके गहरे संबंध हैं। भारत एवं थाईलैंड कई क्षेत्रों में सहयोग का निर्णय किया है।

आंग सान सू की, म्यांमार

आंग सान सू की पहली बार मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगी। हालांकि उन्होंने भारत से ही शिक्षा ग्रहण की है। वह दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से स्नातक हैं। भारत और बर्मा का संबंध सदियों पुराना है। पिछले साल ही भारत और म्यांमार ने विभिन्न क्षेत्रों में 11 समझौते किए हैं। इसमें एक समझौता सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों देशों के संबंध कितने प्रगाढ़ हैं।

सुल्तान बोल्किया, ब्रुनेई

भारत और ब्रुनेई के बीच प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर धारणाओं में काफी हद तक समानता है। ब्रुनेई भारत की ‘पूरब की ओर देखो नीति’ का समथर्न करता है। ब्रुनेई के सुल्तान हसनअल बोल्किया पहली बार साल 2012 में आसियान देशों के सम्मेलन में भारत आए थे। पहली बार ही वह भारत के मुख्य अतिथि बन भारत आएंगे। हसनअल दुनिया के सबसे अमरी व्यक्तियों में एक हैं।

हुन सेन, कंबोडिया

कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन 1963 में भारत आए किंग नोरोडोम के बाद दूसरे कंबोडियाई नेता हैं। हुन सेन 1985 से कंबोडिया की सत्ता में है। इनकी गिनती दुनिया के उन चुनिंदा नेताओं में होती है जो लंबे समय तक सत्ता में रहे हैं। कंबोडिया पर भारत का सदियों पुराना सांस्कृतिक प्रभाव है। वहां मौजूद मंदिर इसका उदाहरण हैं।

जोको विडोडो, इंडोनेशिया

जोको विडोडो इंडोनेशिया के तीसरे राष्ट्रपति हैं जो गणतंत्र दिवस परेड में भारत के मुख्य अतिथि होंगे। विडोडो से पहले साल 1950 में राष्ट्रपति सुकर्णो और साल 2011 में राष्ट्रपति सुसीलो बामबांग युधोयोनो भी मुख्य अतिथि के तौर पर आ चुके हैं। दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया की मजबूत भूमिका है। यह इस क्षेत्र के सबसे बड़े देशों में एक है। जोको भारत-इंडोनेशिया गठबंधन को मजबूत करना चाहते हैं ताकि एशिया में शक्ति संतुलन बना रहे।

नजीब रजाक, मलेशिया

मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक भी 10 मुख्य अतिथियों की सूची में हैं। प्रधानमंत्री रजाक की यह दूसरी भारत यात्र होगी। भारत-मलेशिया ने बीते वर्ष ही राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाई है। दोनों देशों एवं लोगों के बीच के साङो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध हैं। मलेशिया में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं।

न्गुयेन शुयान फुक, वियतनाम
प्रधानमंत्री न्गुयेन शुयान फुक वियतनाम से दूसरे नेता हैं जो गणतंत्र दिवस समारोह में भारत आएंगे। इससे पहले साल 1989 में जनरल सेक्रेटरी न्गुयेन लिन्ह भी भारत आ चुके हैं। वियतनाम भारत के प्रमुख रक्षा साझीदारों में एक है। चीन की चुनौतियों से निपटने में वियतनाम भारत का प्रमुख सहयोगी बनकर उभरा है। भारतीय प्रभाव वियतनामी लोकगीत, कला और दर्शन में आज भी मौजूद हैं।

थॉन्गलौन सिसोलिथ, लाओस
लाओस के प्रधानमंत्री थॉन्गलौन सिसोलिथ का नाम भी 10 मुख्य अतिथियों की सूची में है। लाओस से वह पहले प्रतिनिधि होंगे जो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करेंगे।

राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुतेर्ते फिलीपींस
राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुतेर्ते फिलीपींस के पहले नेता होंगे जो गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करेंगे। फिलीपींस चाहता है कि भारत उसके राष्ट्र निर्माण में मदद करे। दोनों देश आतंकवाद से निपटने के लिए साथ काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के अलावा कृषि और सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के क्षेत्रों में मदद करने पर सहमति हुई है।

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