भोपाल। लोकसभा चुनाव में देश भर में खराब नतीजों के बाद कांग्रेस में फिलहाल उठाटक जारी है। केंद्रीय नेतृत्व में लगातार बैठकों का दौर जारी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़े हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। वहीं, प्रदेश में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली राहुल गांधी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करने पहुंचे थे। इस बैठक में प्रदेश में होने वाली कैबिनेट विस्तार पर चर्चा होनी थी। लेकिन फिलहाल हालातों को देखते हुए ऐसा नहीं हो सका। कयास लगाए जा रहे हैं कि फिलहाल जून के पहले हफ्ते में कैबिनेट विस्तार होना संभव नहीं है।
दरअसल, सीएम कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट विस्तार के बारे में विचार किया था। 26 मई को हुई विधायक दल की बैठक में इस बात के उन्होंने संकेत भी दिए थे। लेकिन दिल्ली में राहुल गांधी से वह इस बारे में चर्चा नहीं कर पाए। 1 जून को होने वाली कांग्रेस की संसदीय बैठक के बाद अब कैबिनेट विस्तार का फैसला लिए जा सकते हैं। नाथ ने अपनी सरकार की स्थिरता के लिए मंत्रिमंडल विस्तार के लिए जाना और असंतुष्टों को शांत करना चाहा। राज्य में कांग्रेस के पास 114 विधायकों का समर्थन है। इसमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 2 विधायकों, समाजवादी पार्टी (सपा) के 1 और 4 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। नाथ ने उनमें से कई को लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट में शामिल होने का आश्वासन दिया था। कई कांग्रेस विधायक भी मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार कर रहे हैं।
इनमें केपी सिंह, एंदल सिंह कंसाना, राज्यवर्धन सिंह, विक्रम सिंह नतिराजा, बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह खतरे और झुमा सोलंकी शामिल हैं, जिन्हें तब मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। निर्दलीय विधायकों में सुरेंद्र सिंह शेरा, केदार डाबर, विक्रम सिंह राणा के साथ राजेश शुक्ला, जो सपा के विधायक हैं, संजीव कुशवाहा और बसपा के रामबाई, मंत्री बनने के इच्छुक हैं। ये सभी विधायक मंत्रिमंडल विस्तार पर नजर गड़ाए हुए हैं। इन विधायकों को मंत्रिमंडल में रखने के लिए नाथ को अपने कुछ मंत्रियों को हटाना पड़ सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर नाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से चर्चा की थी। पार्टी हाईकमान से मंजूरी के बाद ही कैबिनेट विस्तार पर कोई फैसला लिया जाएगा।