भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ की सरकार को बचाने के लिए कैबिनेट के फार्मूले पर नए सिरे से विचार शुरू हो गया है। सरकार बचाने के लिए प्रदेश के कई वरिष्ठ मंत्रियों ने इस्तीफे की पेशकश की है। बताया जाता है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए विधायकों की योग्यता कम से कम 3 बार चुनकर आने की तय की जा सकती है। यह फार्मूला समर्थन दे रहे अन्य दलों एवं निर्दलीय विधायकों पर लागू नहीं होगा। यदि इस फार्मूले को लागू किया जाता है तो 11 मंत्री कैबिनेट से बाहर हो सकते हैं। कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे 6 गैर कांग्रेसी विधायकों में से कम से कम 4 को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। कांग्रेस के 8 से 10 वरिष्ठ विधायकों को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। पार्टी के अन्य नाराज विधायकों को निगम मंडल अथवा संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।
यदि तीन बार विधायक का नियम लागू हुआ तो कमलनाथ मंत्रिमंडल से जिन 11 मंत्रियों की विदाई होगी उनमें हर्ष यादव, जयवद्र्धन सिंह, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, महेन्द्र सिसौदिया, पीसी शर्मा, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सचिन यादव, सुरेन्द्र सिंह हनी और तरूण भानोत के नाम शामिल है। कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है उनमें बसपा के संजीव कुशवाह और रामबाईसिंह, सपा के राजेश शुक्ला और निर्दलीय सुरेन्द्रसिंह शेरा शामिल हैं। एक अन्य निर्दलीय प्रदीप जायसवाल पहले से ही मंत्रिमंडल में शामिल हैं। कांग्रेस के जिन वरिष्ठ विधायकों को कैबिनेट में शामिल किए जाने की अटकलें हैं उनमें केपी सिंह, कांतिलाल भूरिया, बिसाहूलाल सिंह, ऐदलसिंह कंसाना, राजवद्र्धनसिंह के नाम चर्चा में है। यह भी चर्चा है कि युवा आदिवासी विधायक हीरा अलावा, पांचीराम मेढ़ा, हरदीप सिंह डंग सहित कुछ विधायकों को निगम मंडलों में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
शनिवार को सुबह कमलनाथ सरकार का बुलडोजर भाजपा विधायक संजय पाठक के बांधवगढ़ स्थित साईना रिसोर्ट पर चला। उमरिया कलेक्टर और एसपी ने स्वयं खड़े होकर विधायक के रिसोर्ट के अवैध हिस्से को बुलडोजर से ध्वस्त कराया। संजय पाठक पर आरोप है कि कांग्रेस और उसको समर्थन दे रहे विधायकों को दिल्ली ले जाने में उनके विमान का उपयोग किया गया था।
जो रामबाई कल तक भाजपा के पाले में जाती दिखाई दे रही थीं। वे शुक्रवार को कमलनाथ सरकार बचाने के लिए सक्रिय दिखाई दीं। खास बात यह है कि रामबाई अपने साथ हटा के भाजपा विधायक पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय को साथ लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंची थीं। बाद में मुख्यमंत्री ने रामबाई को पथरिया छोडऩे के लिए अपना हेलिकाप्टर भी दिया।
आपरेशन लोट्स के मुख्य हीरो प्रदेश के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर शिकंजा कसने के लिए ईओडब्ल्यू को निर्देश दे दिए गए हैं। ईओडब्ल्यू ने ई-टेंडर घोटाले के साथ-साथ नरोत्तम के नजदीकी लोगों पर पड़े आयकर छापे के मामले में जांच तेज कर दी है। जिन किसानों के नाम से करोड़ों की जमीनें खरीदी गईं थीं उनके बयान शुरू हो गए हैं।
कमलनाथ को खबर मिली है कि आपरेशन लोट्स के लिए कांग्रेस के बिसाहूलाल सिंह और निर्दलीय सुरेन्द्रसिंह शेरा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यदि बिसाहूलाल सिंह और शेरा लाईन पर नहीं आते हैं तो इन पर भी सरकार का शिकंजा कस सकता है। यह दोनों विधायक आज बैंगलोर से लौटकर मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर सकते हैं।