भोपाल। शिवराज सरकार ने कमल नाथ सरकार के उस फैसले को बदलने का सैद्धांतिक फैसला कर लिया है, जिसमें महापौर और अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लिया था। इसके लिए मध्यप्रदेश नगर पालिका विधि। (संशोधन) अधिनियम 2019 में संशोधन किया जाएगा। इसके तहत महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सी्धे जनता (मतदाता) करेंगे। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रस्ताव तैयार करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज दिया है।
कमल नाथ सरकार ने सितंबर 2019 में नगर पालिक विधि अधिनियम में संशोधन करके नगर निगम के महापौर और नगर पालिक व नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लिया था। इसके तहत चुने हुए पार्षद महापौर और अध्यक्ष का चुनाव करते। इसके लिए पहले अध्यादेश और फिर विधानसभा में दिसंबर 2019 में विधेयक के जरिए नए प्रावधानों को लागू किया गया। हालांकि, भाजपा ने इस बदलाव का काफी विरोध किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने तब राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर अनुरोध किया था कि इस निर्णय को मंजूरी न दें। कुछ दिन मामला अटका भी रहा। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ के राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद उन्होंने इसकी अनुमति दी थी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अधिनियम में संशोधन के हिसाब से नियमों में भी बदलाव कर दिया था।
सत्ता परिवर्तन के बाद से ही यह संभावना जताई जा रही थी कि नगरीय निकाय चुनाव की पुरानी व्यवस्था को फिर लागू किया जाएगा। राजनीतिक स्तर पर सैद्धांतिक निर्णय होने के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने शुक्रवार को अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिया। बताया जा रहा है कि आगामी नगरीय निकाय के चुनाव नए प्रावधानों से ही कराए जाएंगे।
अब क्या होगा विभागीय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के अनुमोदन से इसे वरिष्ठ सचिव समिति बैठक नए प्रावधानों पर विचार करके विभाग के माध्यम से कैबिनेट निर्णय के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार के निर्णय के बाद चूंकि अभी विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जा सकता है। इसे विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक के तौर पर प्रस्तुत करके अधिनियम में संशोधन पारित कराकर राज्यपाल की अनुमति के लिए भेज दिया जाएगा।